Sadabad Constituency Result 2022: हाथरस जनपद की तीनों विधानसभाओं में जीत दर्ज कर चुके रामवीर उपाध्याय को 2022 में करारी हार का सामना करना पड़ा. लगातार 25 साल तक विधायक रहे रामवीर उपाध्याय इस बार बीजेपी के टिकट पर सादाबाद से विधानसभा चुनाव हार चुके हैं. हाथरस जनपद की 2 सीटों पर भाजपा और 1 पर रालोद ने जीत हासिल की.
बीजेपी से पहले बसपा के कद्दावर नेता माने जाने वाले रामवीर उपाध्याय हाथरस की 3 सीटों हाथरस, सादाबाद, सिकंदराराऊ सीट पर 1996 से लगातार 25 साल तक विधायक रहे. 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा की टिकट पर सादाबाद से चुनाव लड़ा और हार का सामना करना पड़ा.
-
1996 में हाथरस से विधायक
-
2002 में फिर हाथरस से विधायक
-
2007 में तीसरी बार हाथरस से विधायक
-
2012 में सिकंदराराऊ से विधायक
-
2017 में सादाबाद से विधायक
-
2022 में सादाबाद से हारे
रालोद उम्मीदवार प्रदीप सिंह ने सादाबाद विधानसभा सीट से जीत दर्ज की है. प्रदीप सिंह को 104874 वोट मिले, जबकि रामवीर उपाध्याय को 98437 वोट मिले. प्रदीप सिंह ने रामवीर उपाध्याय को 6437 वोटों के अंतर से हराया है.
-
विधानसभा: सादाबाद
-
जिला: हाथरस
-
शैक्षणिक योग्यता: एलएलबी, मेरठ यूनिवर्सिटी से
वकालत के बाद रामवीर उपाध्याय राजनीति में आए और बसपा से हाथरस जनपद की तीनों विधानसभा हाथरस, सादाबाद, सिकंदराराऊ से 1996 से अब तक 4 बार विधायक बने. रामवीर उपाध्याय मायावती की सरकार में ऊर्जा मंत्री भी रहे. चुनाव से पहले बसपा से त्यागपत्र देकर, भाजपा ज्वाइन की और सादाबाद से भाजपा प्रत्याशी बतौर चुनाव लड़ा.
-
प्रॉपर्टी: नगद 3 लाख 54 हजार 700
-
एलआईसी में निवेश 3 लाख 93 हजार 389
-
अचल संपत्ति 3 करोड़ 96 लाख
-
हाथरस में पेट्रोल पंप
-
गाजियाबाद, सिक़दराराऊ, हाथरस, लखनऊ में करोड़ों रुपए के रिहायशी आवास हैं.
आपराधिक मामलों की बात करें तो रामवीर उपाध्याय पर 1 मामला दर्ज हैं. हाथरस की एडीजे कोर्ट नं 4 में एक मामला दर्ज है. 365/511एवं आईपीसी 3(1) घ एससी एसटी एक्ट में.
रामवीर उपाध्याय सोशल मीडिया पर मध्यम एक्टिव रहते हैं. भाजपा के आईटी सेल में इन चुनावों में सोशल मीडिया पर उनका जमकर प्रचार किया है.
क्यों पापुलर हैं: रामवीर उपाध्याय ने शुरू से ही हाथरस जनपद में राजनीति की है. हाथरस की तीनों विधानसभा हाथरस, सादाबाद, सिकंदराराऊ में चार बार विधायक रहे हैं. बसपा सरकार में मंत्री रहे. इनकी पत्नी सीमा उपाध्याय, भाई मुकुल उपाध्याय, रामेश्वर उपाध्याय के साथ में राजनीति में सक्रिय रहे.