Lucknow News: समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल का शुक्रवार से पश्चिमी यूपी में संयुक्त रूप से शंखनाद शुरू हो गया है. सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी मेरठ में एक साथ कार्यक्रम भी करने वाले हैं. इस बीच सपा की सोशल मीडिया टीम ने मौके की नजाकत को देखते हुए किसानों के लिए लाभकारी योजनाओं की बारिश शुरू कर दी है.
बता दें कि मेरठ में शुक्रवार को सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और आरएलडी के जयंत चौधरी अपना संयुक्त चुनाव प्रचार अभियान शुरू करेंगे. अखिलेश यादव और जयंत चौधरी मेरठ आएंगे और एनएच 58 पर गॉडविन होटल में साढ़े तीन बजे संयुक्त प्रेस वार्ता करेंगे. दोनों नेता यहां करीब एक घंटा रहेंगे. यानी हर दल का जोर इस बात पर है कि किसी तरह पश्चिमी यूपी के जाट नेता उनकी पार्टी को समर्थन दे दें. हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि सपा और रालोद का गठबंधन क्या रंग लाता है?
सपा सरकार बनने पर किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों के परिवारों को दी जाएगी ₹ 25-25 लाख की आर्थिक मदद।
"किसानों का सम्मान, सपा की पहचान" pic.twitter.com/fNmIskJjYr
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) January 28, 2022
इससे पहले ही सपा की सोशल मीडिया टीम ने किसानों के लिए लाभकारी योजनाओं को लेकर लगातार ट्वीट करना शुरू कर दिया है. एक ट्वीट में सपा की ओर से लिखा गया है, ‘सपा सरकार बनने पर किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों के परिवारों को दी जाएगी 25-25 लाख रुपए की आर्थिक मदद. किसानों का सम्मान, सपा की पहचान.’
इससे पहले सपा की ओर से एक ट्वीट किया गया, ‘सपा सरकार बनने पर यूपी में प्रत्येक फसल पर दी जाएगी एमएसपी.’ वहीं, इससे पहले ट्वीट किया गया, ‘किसान भाइयों को राहत देने के लिए सपा सरकार में उपलब्ध कराई जाएगी सिंचाई हेतु फ्री बिजली. भाजपा सरकार द्वारा दी जाने वाली देश की सबसे महंगी बिजली से उत्तर प्रदेश के किसानों को मिलेगी निजात. किसानों का सम्मान, सपा की पहचान.’
दरअसल, पश्चिमी यूपी में किसानों की संख्या बहुतायत में है. यहां का किसान वर्ग ही देश की केंद्र सरकार के खिलाफ चले किसान आंदोलन में अहम योगदान निभाने वाला रहा है. ऐसे में इन किसानों के बीच जब सपा और रालोद की शुक्रवार से बैठक हो रही है तो उनके बीच जाहिर है, वे उनके लिए बनाई गई योजनाओं पर ही चर्चा करेंगे. फिलहाल, यूपी में सत्ता की धूरी की चाभी पश्चिमी यूपी के किसानों के हाथ में ही आ गइ्र है. यही कारण है कि सभी राजनीतिक दल किसानों के हित की बात करते देखे-सुने जा रहे हैं.