UP Brahmin Politics: उत्तर प्रदेश के कानपुर (Kanpur) जिले का बहुचर्चित बिकरू कांड (Bikaru Case) आपको याद ही होगा. जुलाई 2020 में हुए इस कांड में 8 पुलिसकर्मियों पर गैंगस्टर विकास दुबे (Vikas Dubey) और उसके साथियों ने रात में ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई थी. इस घटना से पूरे देश में हड़कंप मच गया था. अब जब कि यूपी में अगले साल विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) होने हैं, ऐसे में बिकरू कांड और ब्राह्मणों को लेकर राजनीति शुरू हो गई है. कहा जा रहा है कि कुछ बड़ी पार्टियों ने विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर विकास दुबे की पत्नी ऋचा दुबे (Richa Dubey) से संपर्क किया है.
मिली जानकारी के अनुसार, नेताओं ने ऋचा दुबे से विधानसभा चुनाव लड़ने का आग्रह किया है. उनका कहना है कि यही एकमात्र तरीका है, जिससे वह अपना बदला ले सकती हैं. साथ ही अपने दो बच्चों के लिए एक सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित कर सकती हैं. इन नेताओं ने उन्हें आश्वासन दिया है कि उनके कार्यकर्ता चुनाव लड़ने में उनकी पूरी मदद करेंगे और उनके अभिमान का ध्यान रखेंगे.
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वहीं, ऋचा दुबे ने अभी तक राजनीति में आने का मन नहीं बनाया है. उन्होंने 2015 में सपा उम्मीदवार के रूप में जिला पंचायत चुनाव लड़ा था, लेकिन बिकरू नरसंहार के बाद सपा ने इस बात से इनकार किया कि ऋचा उनकी सदस्य रही हैं.
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बता दें, बिकरू कांड को लेकर सियासत जारी है. बसपा की तरफ से किए जा रहे प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सदस्य सतीश चंद्र मिश्रा (Satish Chandra Mishra) लगातार बिकरू कांड को लेकर सरकार पर निशाना साधा रहे हैं. उन्होंने बसपा सरकार बनने के बाद बिकरू कांड की फिर से जांच शुरू कराने का दावा किया है.
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यही नहीं, सतीश चंद्र मिश्रा लगातार कह रहे हैं कि बिकरू मामले में निर्दोष ब्राह्मणों को निशाना बनाया गया है. हालंकि उन्होंने विकास दुबे का नाम नहीं लिया, लेकिन विधवा खुशी दुबे का उदाहरण जरूर दिया.सतीश मिश्रा ने खुशी दुबे को कानूनी सहायता देने की भी बात कह रहे हैं.
उनका कहना है कि पिछले एक साल से खुशी दुबे जेल में बंद है. उसे बसपा कानूनी सहायता देगी. जब खुशी 16 साल की थी, तब उसने एक अन्य बिकरू आरोपी अमर दुबे से शादी की. शादी के तीन दिन बाद बिकरू हत्याकांड हुआ और उसके बाद पुलिस मुठभेड़ में अमर दुबे की मौत हो गई.
वहीं, कांग्रेस का आरोप है कि पुलिस ने सभी छह मुठभेड़ों के लिए एक ही स्क्रिप्ट बनायी. आरोपियों को गोली मारने की बजाय गिरफ्तार किया जाना चाहिए था. पार्टी ने कहा कि प्रदेश में कई गैर ब्राह्मण माफिया हैं, जो खुलेआम घूम रहे हैं. उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही हैं.
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इसके अलावा, आप सांसद संजय सिंह (AAP MP Sanjay Singh) का कहना है कि खुशी दुबे के साथ किया गया व्यवहार उचित नहीं था. उसके खिलाफ पुलिस ने आरोपों को सूचीबद्ध नहीं किया है, बावजूद इसके उसे जमानत नहीं दी गई.
Posted by : Achyut Kumar