Lucknow News: यूपी में श्रम मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा से किनारा कर लिया है. इस्तीफा देने के साथ ही प्रदेश में पिछड़ों की राजनीति का मसला गर्मा गया है. जाहिर है भाजपा को इस पूरे मसले पर जल्द डैमेज कंट्रोल करना होगा.
बता दें कि प्रदेश में छह फीसदी वोट मौर्य समाज का होता है. स्वामी प्रसाद मौर्य इस समुदाय के बड़े नेता कहे जाते हैं. कुशीनगर के पडरौना से विधायक चुने जाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य को काछी, मौर्य, कुशवाहा, सैनी और शाक्य वर्ग के नेता कहे जाते हैं. इन वर्गों का प्रदेश में करीब 100 सीट पर असर है. भाजपा आलाकमान इस इस्तीफे के बाद होने वाले डैमेज को कंट्रोल करने के लिए पुरजोर कोशिश कर रहे हैं.
यूं भी स्वार्मी प्रसाद मौर्य ने पार्टी छोड़ने का कारण पूछने पर यही बताया था कि भाजपा में दलितों और शोषितों के लिए सोचने वाला कोई नहीं है. समाज का पिछड़ा वर्ग देश की सबसे बड़ी पार्टी में भी पिछड़ी ही साबित हो रही है. यही कारण है कि पार्टी के आलाकमान ने भाजपा प्रदेश संगठन मंत्री सुनील बंसल और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को नाराज विधायकों को मनाने का भार सौंपा है. इस पूरे मसले पर पार्टी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह की नजर है.
उधर, दिल्ली में भाजपा की टिकट बंटवारे को लेकर मैराथन मीटिंग का दूसरा दौर भी जारी है. उम्मीद की जा रही है कि इस मीटिंग में करीब 40 सीटिंग विधायकों के टिकट कटने की बात की जा रही है. मंगलवार को हुई बैठक में करीब 170 सीट पर उम्मीदवारों के नाम तय हो जाने की चर्चा की जा रही है.