UP Election 2022: यूपी विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण की तैयारी जोर-शोर से चल रही है. इस चरण में 16 जिलों की 59 विधानसभा सीटों पर मतदान होना है, जिनमें मैनपुरी की चार विधानसभा सीट भी शामिल हैं. सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने के कारण मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट सुर्खियों में है. आइयें जानते हैं जिले की चार विधानसभा सीटों का समीकरण..
मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट समाजवादी पार्टी की परंपरागत सीट मानी जाती है, और यही कारण है कि सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव इस बार करहल से चुनाव लड़ रहे हैं. साल 1993 के बाद से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार ही यहां से चुनाव जीतते आए हैं. बीजेपी ने 2002 में इस सीट पर फतह हासिल की थी. करहल विधानसभा से अखिलेश यादव को चुनौती देने के लिए बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री एसपी बघेल को चुनावी मैदान में उतारा है, जबकि बसपा ने कुलदीप नारायण को टिकट दिया है. इस बार सीट पर कांटे की टक्कर मानी जा रही है.
किशनी सीट के साथ-साथ भोगांव और मैनपुरी सदर में भाजपा और सपा के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है. भोगांव के मतादात योगी सरकार की कानून व्यवस्था पर तो खुश नजर आते हैं, लेकिन जैसे ही बात छुट्टा पशुओं की आती है तो वह अपनी नाराजगी व्यक्त करने में भी पीछे नहीं हटते. बेसहारा गोवंश द्वारा फसलों का नुकसान एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है, लेकिन आखिर में लोग यह भी कहते नजर आते हैं कि गुंडागर्दी बहुत कम हो गई, ये सुकून की बात है. यही हाल किशनी और मैनपुरी सदर में नजर आ रहा है.
दरअसल, यादव बाहुल्य मैनपुरी जिले में सबसे अधिक यादवों की संख्या करहल में ही है, यहां कुल मतदाताओं में 40 फीसदी यादव हैं. अन्य मतदाताओं की बात करें तो एससी 17 फीसदी, शाक्य 13 फीसदी, ठाकुर 9 फीसदी, ब्राह्मण 7 फीसदी, अल्पसंख्यक 6 फीसदी और अन्य 8 फीसदी हैं. हर बार की तरह इस बार भी सपा जातीय समीकरण बैठाने के लिए पूरी तैयारी कर चुकी है.
करहल के बाद किशनी विधानसभा सीट पर भी यादव मतदाता ही बाहुमत में हैं. यह जिले की एकमात्र सुरक्षित सीट है. यादवों के अलावा ठाकुर, शाक्य, ब्राह्मण और लोधी मतदाता भी निर्णायक भूमिका में हैं. सीट पर 1991 से ही समाजवादी पार्टी का कब्ज़ा है. सपा ने सीट पर एक बार फिर वर्तमान विधायक ब्रजेश कठेरिया पर ही भरोसा जताया है, वहीं भाजपा ने प्रियरंजन आशु और बसपा ने प्रभुदयाल को टिकट दिया है.
मैनपुरी सदर सीट की सियासी हिस्ट्री की बात करें तो शुरू से ही यहां सपा का दबदबा रहा है. हालांकि साल 2002 और 2007 के चुनाव में बीजेपी के अशोक चौहान यहां से विधायक रहे. सपा ने 2012 और 2017 में एक बार फिर सीट पर कब्जा जमा लिया और सपा के राजकुमार यादव चुनाव विधायक चुने गए. इस बार भी चुनावी मैदान में सपा से राजकुमार और भाजपा से जयवीर सिंह, कांग्रेस ने विनीता शाक्य और बसपा ने गौरव नंद चुनावी मैदान में हैं.
भोगांव सीट पर लोधी और शाक्य मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. इसके अलावा इस सीट पर ठाकुर, यादव, ब्राह्मण और दलित वोटर भी अच्छी संख्या में हैं. इस सीट पर भाजपा के रामनरेश अग्निहोत्री वर्तमान विधायक हैं. इस बार चुनाव में भाजपा ने फिर से रामनरेश अग्निहोत्री और सपा ने आलोक शाक्य पर भरोसा जताया है. इसके अलावा बसपा ने अशोक कुमार को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने ममता राजपूत को चुनावी मैदान में उतारा है.