UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसे लेकर सभी दल तैयारियों में जुटे हुए हैं. इसी कड़ी में राष्ट्रीय लोक दल भी तैयारियों में जुटा हुआ है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह की नजर यूपी की सभी सीटों पर हैं. उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड को साधने के लिए नई रणनीति बनायी है. जयंत सिंह ने ऐलान किया है कि अगर उनकी सरकार बनती है तो पश्चिमी यूपी और बुंदेलखंड में हाईकोर्ट की बेंच दी जाएगी. उनके इस बयान से यूपी की सियासत में उबाल आ गया है.
पश्चिम उत्तर प्रदेश में 72 विधानसभा सीटें आती हैं. इन सीटों पर सभी पार्टियों की नजर है. मुजफ्फरनगर में आशीर्वाद रैली को संबोधित करते हुए जयंत सिंह ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की काफी पुरानी मांग है कि यहां एक हाईकोर्ट की बेंच हो. इस मांग को हम अपनी सरकार बनने पर पूरा करेंगे.
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गौरतलब है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोग पिछले काफी समय से हाईकोर्ट बेंच की मांग कर रहे हैं. अधिवक्ता भी इसे लेकर हर बुधवार और शनिवार हड़ताल करते हैं. यहां गौर करने वाली बात यह है कि 1980 के लोकसभा चुनाव के बाद से अभी तक किसी भी राजनीतिक दल ने हाईकोर्ट बेंच देने का वादा खुले मंच से करने का साहस नहीं दिखाया. यहां तक कि खुद जयंत सिंह के पिता चौधरी अजित सिंह भी खुले मंच से इसका वादा नहीं कर सके थे,
पूर्व केंद्रीय मंत्री और मेरठ से कांग्रेस की प्रत्याशी मोहसिना किदवाई ने 1980 में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट की बेंच देने का वादा किया था, लेकिन यह मांग पूरी नहीं हो सकी. इसके पीछे की वजह पूर्वांचल का दबाव बताया जा रहा है. इसी दबाव के चलते राजनीतिक दल हाईकोर्ट बेंच के मामले से खुद को अलग करते रहे हैं.
आपको बता दें कि हाईकोर्ट बेंच बनाना आसान काम नहीं है. इसकी एक प्रक्रिया है. सबसे पहले प्रदेश सरकार को इस सम्बन्ध में विधान मंडल से प्रस्ताव पास कराकर केंद्र सरकार को भेजना होगा. इस पर केंद्र प्रदेश के हाईकोर्ट से रिपोर्ट लेती है, जिसके बाद केन्द्र सरकार संसद से कानून बनाकर हाईकोर्ट बेंच की स्थापना कर सकती है. वरिष्ठ अधिवक्ताओं का यह भी तर्क है कि संसद चाहे तो सीधे कानून बनाकर हाईकोर्ट बेंच का गठन कर सकती है.
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1955 में पहली बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच बनाने की मांग उठी थी, लेकिन इसे अपेक्षित जन समर्थन नहीं मिल पाया.
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इसके बाद 1978 में एक महीने की भूख हड़ताल कर बेंच बनाने की मांग को जोरों से उठाया गया.
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1981 और 1982 में भी बेंच बनाने की मांग की गई
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1986-87 में ऋषिकेश से दिल्ली तक पद यात्रा निकाली गई.
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2001, 2014, 2015, 2017 में भी पश्चिमी यूपी में हाईकोर्ट बेंच बनाने की मांग की गई. लेकिन उसके बाद भी हाईकोर्ट की बेंच आज तक नहीं बन पायी
Posted By: Achyut Kumar