यूपी चुनाव 2022: छत्तीसगढ़ में जारी सियासी संकट के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का वरिष्ठ पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है. वे कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा की मदद करेंगे. यूपी से पहले उन्हें असम विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी का पर्यवेक्षक और कैंपेन मैनेजर बनाया गया था. हालांकि, इसका फायदा कांग्रेस को नहीं मिल पाया. बीजेपी लगातार दूसरी बार सत्ता पर काबिज होने में कामयाब रही.
असम में बीजेपी को हराने के लिए भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ वाली रणनीति अपनाई थी, बावजूद इसके कांग्रेस को हार का सामना करना. वे बुरी तरह फ्लॉप रहे. उन्होंने जिन 36 विधानसभा सीटों पर फोकस किया था, उनमें से बमुश्किल 11 सीटें पर ही कांग्रेस जीत पायी थी.
बता दें, भूपेश बघेल के आने से पहले ही उनकी टीम यूपी में सक्रिय है. उनके करीबी राजेश तिवारी को इस साल की शुरुआत में यूपी का सह प्रभारी बनाया गया था. छत्तीसगढ़ मॉडल की तर्ज पर यूपी के कांग्रेस कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि पार्टी संगठन जमीन पर हर तरीके से मजबूत नजर आए. भूपेश बघेल ने प्रदेश अध्यक्ष रहते छत्तीसगढ़ में यही मॉडल अपनाया था, जिसका परिणाम यह हुआ कि 2018 में कांग्रेस ने बीजेपी को हराकर जबरदस्त जीत हासिल की थी.
वहीं, नई जिम्मेदारी मिलने पर छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने ट्वीट कर कहा, राष्ट्रीय अध्यक्षा सोनिया गांधी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए मुझे पर्यवेक्षक होने का निर्देश दिया है. बड़ी ज़िम्मेदारी है. पूरा प्रयास रहेगा कि शीर्ष नेतृत्व की उम्मीदों पर खरा उतर सकूं. उन्होंने कहा, परिवर्तन का संकल्प, कांग्रेस ही विकल्प.
बता दें, कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अपनी खोई हुई सियासी जमीन पाने की कोशिश में जुटी हुई है. हालांकि उसके इस अभियान को दिग्गज नेताओं के कांग्रेस छोड़ने से झटका लगा है. मिर्जापुर से पूर्व ललितेश पति त्रिपाठी के कांग्रेस छोड़ने के बाद बुंदेलखंड में पार्टी के दिग्गज नेता गयादीन अनुरागी, मनोज तिवारी और विनोद चतुर्वेदी ने भी हाथ छोड़कर साइकिल पर सवार हो गए हैं. भूपेश बघेल को बीजेपी के अलावा समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी से तगड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा.
फिलहाल, भूपेश बघेल के सामने अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाने की भी चुनौती है. छत्तीसगढ़ के कई कांग्रेस विधायक दिल्ली में जुटने लगे हैं. कांग्रेस विधायक बृहस्पत सिंह का दावा है कि दिल्ली में आज 35 विधायक जुट जाएंगे जबकि रविवार को और विधायक आएंगे. उन्होंने बताया कि हम राज्य प्रभारी पीएल पूनिया और पार्टी हाईकमान से मुलाकात करेंगे. हालांकि उन्होंने कहा कि राज्य में नेतृत्व बदलाव को लेकर कोई बातचीत नहीं होगी.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार कह रहे हैं कि उनकी कुर्सी पर कोई संकट नहीं हैं. वहीं, मीडिया सूत्रों के मुताबिक, पार्टी में ढाई-ढाई साल के सीएम पद की मांग हो रही है. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव अपनी दावेदारी मजबूत कर रहे हैं. वे दिल्ली का दौरा भी कर चुके हैं.
Posted By: Achyut Kumar