UP Chunav 2022: उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर एक बार फिर सरगर्मियां तेज हो गई हैं. मगर, क्षेत्रीय दलों की जातीय सियासत के चलते कांग्रेस एक बार फिर वेंटीलेटर पर नजर आ रही है. एक दौर में कांग्रेस का बरेली की सभी नौ विधानसभा सीटों पर कब्जा रहा था, लेकिन 1991 के विधानसभा चुनाव के बाद एक भी सीट पर कांग्रेस का प्रत्याशी नहीं जीत सका है. कांग्रेस ने 1996 में बसपा और 2017 में सपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत पाई. हालांकि, गठबंधन में मिली सीट पर कांग्रेस प्रत्याशियों ने रिकॉर्ड तोड़ वोट लिए थे.
साल 1991 के विधानसभा चुनाव में कैंट विधानसभा से इस्लाम साबिर और सन्हा (बिथरी चैनपुर) विधानसभा से रामेश्वर नाथ चौबे ने जीत दर्ज की थी. मगर, इसके बाद मंडल कमीशन के चलते जातीय और धार्मिक राजनीति शुरू हो गई, जिसके चलते कांग्रेस को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा.
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बरेली की शहर विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी ने 1980 में जीत दर्ज की थी. मगर, 1985 में भाजपा ने छीन ली. तब से उसका ही कब्जा है. 1985 में बहेड़ी विधानसभा सीट पर अंबा प्रसाद, भोजीपुरा में नरेंद्र पाल सिंह, नवाबगंज में पूर्व मंत्री चेतराम और फरीदपुर से नत्थू लाल ने अंतिम जीत दर्ज की थी. इसके बाद फिर यहां से कांग्रेस के विधायक अभी तक नहीं बन पाए.
2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बरेली लोकसभा सीट पर परचम लहराया था. यहां से भाजपा के संतोष कुमार गंगवार 1989 से लोकसभा चुनाव जीत रहे थे. मगर, 2009 में कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण सिंह ऐरन ने भाजपा के जीत के रथ को रोक कर कांग्रेस को जीत दिलाई थी.
रिपोर्ट: मुहम्मद साजिद, बरेली