Swami Prasad Maurya Resigns: उत्तर प्रदेश चुनाव का बिगुल बज चुका है. आचार संहिता लागू है. प्रदेश में सियासी समीकरण भी तेजी से बदलते नजर आ रहे हैं. आचार संहिता लागू होते ही कानपुर के पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने वीआरएस लेकर ‘खाकी’ की जगह ‘खादी’ पहनने का फैसला कर लिया. वहीं, पश्चिमी यूपी में कांग्रेस का चेहरा माने जाने वाले इमरान मसूद भी ‘हाथ’ का साथ छोड़कर ‘साइकिल’ की सवारी करने जा रहे हैं. इसी कड़ी में अब प्रदेश के श्रम एवं सेवायोजन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य भी शामिल हो गए हैं. उन्होंने मंगलवार को बीजेपी का दामन छोड़ते हुए योगी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया. वह अब समाजवादी पार्टी में शामिल होने जा रहे हैं.
दरअसल, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक फोटो ट्वीट किया है, जिसमें वह स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ नजर आ रहे हैं. इस ट्वीट में अखिलेश ने कहा, सामाजिक न्याय और समता-समानता की लड़ाई लड़ने वाले लोकप्रिय नेता स्वामी प्रसाद मौर्य एवं उनके साथ आने वाले अन्य सभी नेताओं, कार्यकर्ताओं और समर्थकों का सपा में ससम्मान हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन! इसके साथ ही उन्होंने ‘सामाजिक न्याय का इंकलाब होगा, बाइस में बदलवा होगा’ का नारा भी दिया. सपा प्रमुख के साथ तस्वीर से यह साफ हो गया है कि स्वामी प्रसाद मौर्य अब साइकिल की सवारी करेंगे.
सामाजिक न्याय और समता-समानता की लड़ाई लड़ने वाले लोकप्रिय नेता श्री स्वामी प्रसाद मौर्या जी एवं उनके साथ आने वाले अन्य सभी नेताओं, कार्यकर्ताओं और समर्थकों का सपा में ससम्मान हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन!
सामाजिक न्याय का इंक़लाब होगा ~ बाइस में बदलाव होगा#बाइसमेंबाइसिकल pic.twitter.com/BPvSK3GEDQ
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) January 11, 2022
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स्वामी प्रसाद मौर्य एक समय पर बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती के खासमखास सिपहसालार हुआ करते थे, लेकिन 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले वे हाथी की सवारी छोड़ कर आठ अक्टूबर 2016 को बीजेपी में शामिल हो गए. उन्हें तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह ने बीजेपी की सदस्यता दिलायी थी. बीजेपी ने स्वामी प्रसाद मौर्य को पडरौना विधानसभा से टिकट भी दिया था, जिसके बाद जीतने पर उन्हें श्रम एवं सेवायोजन मंत्री बनाया गया. उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य बदायूं से लोकसभा सांसद हैं.
Former Bahujan Samaj Party leader Swami Prasad Maurya joins BJP, in presence of BJP Chief Amit Shah pic.twitter.com/Vylp6h9cLQ
— ANI (@ANI) August 8, 2016
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बता दें, स्वामी प्रसाद मौर्य ने बसपा से 22 जून 2016 को इस्तीफा दिया था. उन्होंने इस्तीफा देने के बाद मायावती पर जमकर हमला बोला था. स्वामी प्रसाद मौर्य ने बसपा सरकार में एक अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली थी. वहीं, अब 2022 में उन्होंने बीजेपी का साथ छोड़ कर सपा का दामन थाम लिया है.
स्वामी प्रसाद मौर्य ने ट्वीट कर कहा, दलितों, पिछड़ों, किसानों, बेरोजगार नौजवानों एवं छोटे-लघु एवं मध्यम श्रेणी के व्यापारियों की घोर उपेक्षात्मक रवैये के कारण उत्तर प्रदेश के योगी मंत्रिमंडल से इस्तीफा देता हूं.
दलितों, पिछड़ों, किसानों, बेरोजगार नौजवानों एवं छोटे-लघु एवं मध्यम श्रेणी के व्यापारियों की घोर उपेक्षात्मक रवैये के कारण उत्तर प्रदेश के योगी मंत्रिमंडल से इस्तीफा देता हूं। pic.twitter.com/ubw4oKMK7t
— Swami Prasad Maurya (@SwamiPMaurya) January 11, 2022
स्वामी प्रसाद मौर्य का जन्म प्रतापगढ़ जिले में हुआ था. उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से लॉ में स्नातक और एमए की डिग्री हासिल की है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने 1980 में राजनीति में कदम रखा और इलाहाबाद युवा लोकदल की प्रदेश कार्य समिति के सदस्य बने. जून 1981 से लेकर 1989 तक वह महामंत्री पद पर रहे. इसके बाद 1989 तक यूपी लोकदल के मुख्य सचिव रहे. वे 1991 से 1995 तक उत्तर प्रदेश जनता दल के महासचिव भी रहे.
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स्वामी प्रसाद मौर्य ने 1996 में बसपा की सदस्यता ले ली, जिसके बाद उन्हें प्रदेश महासचिव बनाया गया. इसके बाद उन्होंने डलमऊ, रायबरेली से बसपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत कर विधायक बने. 2009 में उन्होंने पडरौना विधानसभा उपचुनाव लड़ा और केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह की मां को हराया. मई 2022 से अगस्त 2022 तक उन्हें मंत्री का दर्जा दिया गया. अगस्त 2002 से सितंबर 2003 तक नेता प्रतिपक्ष रहे.
स्वामी प्रसाद मौर्य 2007 से 2009 तक मंत्री रहे. जनवरी 2008 में उन्हें बसपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. 2012 में मिली हार के बाद मायावती ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष से हटाकर नेता प्रतिपक्ष बनाया और उनकी जगह रामअचल राजभर को प्रदेश अध्यक्ष बनाया . इसके बाद 2016 में उन्होंने बसपा का साथ छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए.