12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

UP Chunav 2022: VVPAT मशीन क्या है, निष्पक्ष चुनाव कराने में किस तरह करती है मदद?

UP Chunav 2022: वीवीपैट का पूरा नाम वोटर वेरीफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल है. यह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम से जुड़ी एक स्वतंत्र प्रिंटर प्रणाली है, जो मतदाताओं को यह बताती है कि उनका वोट उनके पसंदीदा उम्मीदवार को ही मिला है.

UP Vidhan Sabha Chunav 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के छठे चरण का मतदान तीन मार्च को होना है. मतदान में वीवीपैट मशीन की अहम भूमिका होती है. आइए जानते हैं कि वीवीपैट मशीन क्या है और चुनाव में यह किस तरह काम करती है…

वीवीपैट का फुल फॉर्म क्या है

वीवीपैट का पूरा नाम वोटर वेरीफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल है. यह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम से जुड़ी एक स्वतंत्र प्रिंटर प्रणाली है, जो मतदाताओं को यह बताती है कि उनका वोट उनके पसंदीदा उम्मीदवार को ही मिला है.

Also Read: UP Election 2022: छठे चरण में 253 उम्मीदवार करोड़पति, जानिए सबसे अमीर और सबसे गरीब कौन?
हर EVM के साथ लगायी जाती है VVPAT मशीन

जब भी कोई मतदाता वोट डालता है तो वीवीपैट से निकलने वाली पर्ची उनको यह बताती है कि उनका वोट किस प्रत्याशी को गया है. अब हर ईवीएम के साथ एक वीवीपैट मशीन लगाई जाती है ताकि चुनाव निष्पक्ष ढंग से सम्पन्न हो.

Also Read: UP Election 2022: छठे चरण में योगी आदित्यनाथ सहित इन दिग्गजों की साख दांव पर, पढ़ें
VVPAT कैसे काम करता है?

  • भारत में मतदान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का उपयोग करके किया जाता है, जिसे दो इकाइयों के साथ डिजाइन किया गया है- नियंत्रण इकाई और मतदान इकाई.

  • मशीन की बैलेटिंग यूनिट में उम्मीदवारों के नाम और पार्टी चिन्हों की एक सूची होती है, जिसके आगे नीले रंग का बटन होता है.

  • मतदाता जिस उम्मीदवार को वोट देना चाहता है, उसके नाम के आगे वाला बटन दबा सकता है.

  • जब मतदाता ईवीएम पर वोट डालता है, तो ईवीएम से जुड़ा प्रिंटर जैसा वीवीपैट एक पर्ची बनाता है, जिसमें उस उम्मीदवार का क्रमांक, नाम और चुनाव चिन्ह दिखाई होता है, जिसे वोट दिया गया था. इस पर्ची से मतदाता अपने डाले गए वोट का सत्यापन कर सकता है.

  • यह वीवीपैट पर्ची अपने आप कटने से पहले 7 सेकंड के लिए प्रदर्शित होती है.

  • पर्ची को एक बार देखने के बाद काट दिया जाता है और वीवीपैट मशीन के ड्रॉप बॉक्स में गिरा दिया जाता है, जिसके बाद एक बीप सुनाई देती है.

  • वीवीपैट की यह पर्ची आपको नहीं दी जाती है. सिर्फ पोलिंग अधिकारी ही वीवीपैट की इस पर्ची को देख सकते हैं.

  • चुनाव की मतगणना के वक्त किसी भी तरह के विवाद की स्थिति में इन पर्चियों की भी गणना की जा सकती है.

सितंबर 2013 में पहली बार हुआ वीवीपैट का इस्तेमाल

वीवीपैट का उपयोग पहली बार अक्टूबर 2010 में एक सर्वदलीय बैठक के दौरान सुझाया गया था. इसके बाद, केंद्र सरकार ने अगस्त 2013 में एक अधिसूचना जारी कर चुनाव नियम, 1961 में संशोधन किया, ताकि आयोग इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग के साथ वीवीपीएटी का उपयोग कर सके. ईवीएम के साथ वीवीपैट का पहली बार सितंबर 2013 में नागालैंड के त्युएनसांग जिले में नोकसेन विधानसभा सीट के उपचुनाव में इस्तेमाल किया गया था.

Also Read: UP Chunav 2022: गोरखपुर में 2017 में BJP का बजा डंका, सिर्फ चिल्लूपार सीट पर मिली हार, इस बार क्या होगा?
वीवीपैट का महत्व

वीवीपैट, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में संभावित चुनावी धोखाधड़ी या खराबी का पता लगाने में मदद करता है. यह संग्रहीत इलेक्ट्रॉनिक परिणामों के ऑडिट के लिए एक साधन प्रदान करता है. यह वोटों को बदलने या नष्ट करने से बचाने में मददगार साबित होता है. वीवीपैट प्रणाली वाली ईवीएम पूरी पारदर्शिता के साथ मतदान प्रणाली की सटीकता सुनिश्चित करती हैं और मतदाताओं का विश्वास बहाल करती हैं. ईवीएम और वीवीपीएटी चुनाव प्रक्रिया को तेज करते हैं, क्योंकि ईवीएम पर मतों की गिनती मतपत्रों की गिनती की तुलना में बहुत कम समय लेती है.

Posted By: Achyut Kumar

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें