Varanasi News: वाराणसी से समाजवादी पार्टी (सपा) के एमएलसी शतरुद्र प्रकाश सिंह ने शुक्रवार को भाजपा का दामन थाम लिया. शतरुद्र के इस कदम से सपा को काफी नुकसान बताया जा रहा है. दरअसल, उनकी छवि स्थानीय पकड़ वाले नेताओं की है. ऐसे में उनके राजनीतिक करियर को जानना जरूरी हो जाता है.
शतरुद्र प्रकाश अखबारों में लेख लिखने वाले शतरुद्र ने गंगा बचाओ, गरीब पूर्वांचल का नया मन, समाजवादी गणराज्य भारत, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर राष्ट्रीय धरोहर क्यों नहीं तथा राज्यें के बीच बढ़ती असमानता तथा स्मार्ट सिटी आदि पुस्तकों का लेखन किया है. जहां तक इनके राजनीतिक करियर की बात बात है तो साल 1997 में यूपी के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव के साथ इन्होंने राजभवन पर गिरफ्तारी दी थी. इन्होंने सोशलिस्ट आंदोलन का प्रचलित नारे ‘पढ़ो पढ़ाई लड़ने को और करो लड़ाई पढ़ने को’ को आंदोलन के रूप में बदल दिया था. देश में जब आपातकाल लगाया गया था तो शतरुद्र वाराणसी और लखनऊ जेल में बंद रहे थे. वहीं, इनके घर की तीन बार कुर्की की गई थी.
तमाम संघर्षों के बाद साल 1974 में सोशलिस्ट पार्टी से वाराणसी कैंट विधानसभा से चुनाव जीतने के बाद, 1977 में जनता पार्टी से वाराणसी कैंट से निर्वाचित हुए, 1985 में लोकदल में रहते हुए वाराणसी कैंट से चुने गए और 1989 में चौथी बार वाराणसी कैंट से निर्वाचित हुए. साथ ही, कैबिनेट मंत्री के रूप में भी कार्य किया. विधानसभा और विधान परिषद की विभिन्न समितियों में काम किया.
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