Aligarh News: वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के बाद अब अलीगढ़ की ऊपरकोट स्थित जामा मस्जिद सुर्खियों में आ गई है. आरटीआई के जवाब में जामा मस्जिद को सार्वजनिक भूमि पर बने होने, जामा मस्जिद के निर्माण के बारे में कोई जानकारी न होने, जामा मस्जिद पर मालिकाना हक व्यक्ति विशेष का न होने की जानकारियों ने अलीगढ़ की जामा मस्जिद को अवैध ठहराकर ढाने के लिए सियासत तेज कर दी है.
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आरटीआई एक्टिविस्ट केशव देव ने नगर निगम से 23 जून 2021 में सूचनाएं मांगी थी कि जामा मस्जिद किस की जमीन पर बनी है? जामा मस्जिद का निर्माण कब हुआ? जामा मस्जिद जिस जमीन पर बनी है, उस पर किसका मालिकाना हक है? नगर निगम ने 31 जुलाई 2021 में जन सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत सूचना दे दी.
नगर निगम ने अलीगढ़ की जामा मस्जिद पर मांगी गई सूचनाओं पर बताया कि जामा मस्जिद सार्वजनिक भूमि पर बनी है. जामा मस्जिद के निर्माण के बारे में कोई अभिलेख उपलब्ध नहीं है. जामा मस्जिद पर मालिकाना हक किसी व्यक्ति विशेष का नहीं है. सार्वजनिक भूमि पर मस्जिद निर्माण की इन जानकारियों ने जामा मस्जिद को अवैध ठहराने की सियासत को गर्म कर दिया है.
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आरटीआई एक्टिविस्ट केशव देव ने 8 मई 2022 को अलीगढ़ के जिलाधिकारी के साथ कमिश्नर, नगर आयुक्त और एडीए के उपाध्यक्ष को अलीगढ़ की जामा मस्जिद के बारे में पत्र भेजा. पत्र में केशव देव ने मांग की है कि जामा मस्जिद सार्वजनिक भूमि पर बनी है. इस भूमि पर किसी व्यक्ति विशेष का अधिकार नहीं है. जामा मस्जिद राष्ट्रीय धरोहर सार्वजनिक भूमि पर बनी है. हजारों वर्ष पुराने इतिहास के अनुसार अपरकोर्ट किला हिंदू राजाओं की राजधानी रहा. इसलिए सरकारी सार्वजनिक भूमि से जामा मस्जिद सहित अवैध कब्जा किला, शिव मंदिर, ऊपर कोर्ट किला को कब्जा मुक्त कराया जाए.
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आरटीआई एक्टिविस्ट केशव देव ने ‘प्रभात खबर’ को बताया कि अलीगढ़ की जामा मस्जिद पहले किला था, जिसे मॉडिफाई कर मस्जिद बनाया गया होगा. सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार जामा मस्जिद सार्वजनिक भूमि पर बनी है, इसके निर्माण का भी कोई पता नहीं है. जामा मस्जिद पर किसका मालिकाना हक है, यह भी पता नहीं है. यह जामा मस्जिद को अवैध ठहराने के लिए काफी है.
रिपोर्ट : चमन शर्मा