Lucknow: यूपी की राजधानी लखनऊ और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का गहरा नाता रहा है. राजनीति के शुरुआती दिनों में लखनऊ के लोगों के साथ अटल जी को नहीं भाया, लेकिन एक बार उन पर लोगों ने जो प्यार बरसाया, अंतिम समय तक कम नहीं हुआ.
जिस लखनऊ से सांसद बनने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बने थे, उसने उन्हें कई बार ठुकराया भी था. अटल बिहारी वाजपेयी 1952 में पहली बार लखनऊ से लोकसभा चुनाव लड़े लेकिन कांग्रेस के प्रत्याशी से उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद 1962 में भी वह मैदान में उतरे लेकिन उन्हें फिर से हार का सामना करना पड़ा.
1957 में जनसंघ ने उन्हें तीन लोकसभा सीटों लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर से चुनाव लड़ाया था. लखनऊ और मथुरा से वह चुनाव हार गये थे लेकिन बलरामपुर ने उन्हें अपना सांसद चुना था. 1962 में एक बार फिर लखनऊ से अटल जी ने अपना भाग्य आजमाया लेकिन उन्हें फिर हार मिली. लेकिन वह राज्यसभा के सदस्य चुने गये. 1967 में एक बार फिर वह लखनऊ से लोकसभा का चुनाव लड़े लेकिन इस बार भी यहां की जनता ने उन्हें नकार दिया. लेकिन बाद में इसी वर्ष हुए उपचुनाव में वह लखनऊ से जीतकर संसद पहुंचे थे.
1971 में अटल बिहारी वाजपेयी मध्य प्रदेश की ग्वालियर सीट से चुनाव लड़े और जीतकर लोकसभा पहुंचे. 1977 और 1980 में वह दिल्ली से लोकसभा के सदस्य बने. 1984 में अटल जी ने ग्वालियर से बार फिर चुनाव लड़ा लेकिन कांग्रेस के माधवराव सिंधिया ने उन्हें हरा दिया था. 1991 में अटल जी ने लखनऊ और विदिशा से चुनाव लड़ा. वह दोनों ही जगह से जीते लेकिन उन्होंने विदिशा सीट को छोड़ दिया और लखनऊ को अपने पास रखा. इस जीत के बाद लखनऊ से उनका जो नाता जुड़ा वह अंतिम समय तक बना रहा.
1996 में उन्होंने लखनऊ और गांधीनगर से एक साथ चुनाव लड़ा. वह दोनों जगह से जीते लेकिन लखनुऊ सीट को बरकरार रखा. 1998 और 1999 में भी वह लखनऊ से चुनाव जीते. 2004 में भी उन्होंने लखनऊ से चुनाव जीता था. 1996 से 2004 तक वह तीन बार प्रधानमंत्री बने. हर बार उन्हें लखनऊ ने संसद भेजा था.