बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह के लिये सबसे बड़ी चुनौती 2024 के लोकसभा चुनाव हैं. इस चुनाव में बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य तय कर चुका है. विधानसभा चुनाव में सपा-रालोद गठबंधन के साथ कुछ प्रतिशत जाट वोट चला गया था. इसी का नतीजा था कि रालोद को विधानसभा में चुनाव में 8 सीटें मिल गयी थी. यूपी में मिशन 80 को पूरा करने के लिये भूपेंद्र सिंह को यूपी बीजेपी की कमान सौंपी गयी है.
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश (West UP) में मुरादाबाद, मेरठ, अलीगढ़, आगरा मंडल के करीब दो दर्जन लोकसभा सीटें हैं. इन सीटों पर जाट वोटर निर्णायक भूमिका में हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन ने यूपी की 80 में से 64 सीटें जीती थीं. जो 16 सीटें बीजेपी हारी थी, उनमें सहारनपुर, बिजनौर, नगीना, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, संभल, बदायूं, मेरठ, बागपत और मुजफ्फर नगर सीट है. इन महत्वपूर्ण सीटों पर जाट वोटर के समीकरण को साधने के लिये ही भूपेंद्र सिंह चौधरी पर दांव लगाया गया है.
भूपेंद्र सिंह चौधरी जाट समाज से आते हैं. इसके अलावा गुर्जर, त्यागी, ब्राह्मण और सैनी समाज के नेताओं में भी उनकी पकड़ है. क्योंकि उन्होंने अपना पूरा कॅरियर कार्यकर्ता के रूप में अपने जिले में दिया है. इसका परिणाम विधानसभा चुनाव में पहले ही दिख चुका है. अब देखना यह है कि प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भूपेंद्र सिंह लोकसभा चुनाव के समीकरण पूरी तरह से बीजेपी के पक्ष में कैसे करेंगे?
जाट समाज को अपने साथ रखने के लिये समाजवादी पार्टी ने रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी को राज्यसभा भेजा है. यह सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का बड़ा दांव माना जा रहा था. ऐसे में बीजेपी को भी एक ऐसा नेता चाहिये था, जो कि जाट वोट बैंक को साध सके. 2022 विधानसभा चुनाव में भाजपा को पश्चिमी उप्र के तीन जिलों में 11 सीटों का नुकसान हुआ था. यह बीजेपी नेतृत्व के लिये चिंता का विषय बना हुआ था. सपा-रालोद गठबंधन के सामने अब भूपेंद्र सिंह चौधरी पश्चिम यूपी में खड़े मिलेंगे.
पश्चिम यूपी की 71 विधानसभा सीटों पर जाट समाज प्रभावी है. 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इनमें से 51 सीटें जीती थी. 20 सीटें विपक्ष को मिली थीं. लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में विपक्ष ने इनमें से 31 सीटें जीत लीं. मुरादाबाद मंडल में सपा-रालोद गठबंधन ने 17 सीटें जीतीं. सहारनपुर मंडल में 9 और मेरठ मंडल में गठबंधन ने पांच सीटें जीतीं थी. इनमें से रालोद को 8 सीटें मिली थी. अब बीजेपी का प्रयास है कि कैसे भी रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी के बढ़ते जनाधार को कम किया जाये. जिससे वह लोकसभा चुनाव में ज्यादा नुकसान न पहुंचा सकें.