Lucknow News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आज मुख्यमंत्री आवास पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाईस्कूल के 10 मेधावी छात्रों एवं उनके माता-पिता, प्रधानाचार्यों और अध्यापकों से मुलाकात की. सीएम योगी ने कहा कि प्रश्न पत्र विद्यार्थी के मानसिक स्तर को जांचने का एक माध्यम होता है. प्रश्न पत्र बहुत क्लिष्ट हो तो यह अच्छे परीक्षक की निशानी नहीं होती. प्रश्न पत्र सहज हो, सरल हो व हर बच्चे के मानसिक स्तर को जांचने का माध्यम बन सके कि वह बौद्धिक रूप से कितना परिपक्व हुआ है.
उन्होंने कहा, ‘पुस्तक को घर में, कूड़ेदान में फेंकने की बजाय, रद्दी मानकर बेचने की बजाय उसको विद्यालय की लाइब्रेरी को दान कर दें, किसी गरीब बच्चे को दे दें.’ उन्होंने बच्चों की पढ़ाई के तौर-तरीकों की जानकारी लेते हुए सभी को अपने पास एक छोटी डायरी रखने का सुझाव दिया. उन्होंने इस डायरी में जरूरी बातों को नोट करने की सलाह दी. कहा, अगर सभी बच्चे रात्रि 10 बजे तक सो जाएं और सुबह 4 बजे उठ जाएं तो यह उनके स्वास्थ्य के लिए अनुकूल होगा. रातभर जागने से दिनभर व्यक्ति को थकान रहती है, स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. हर विद्यार्थी को पुस्तकालय जाने की आदत जरूर डालनी चाहिए. प्रयास करें कि माह में कम से कम कोई एक पुस्तक जो पाठ्यक्रम से अलग हो, जरूर पढ़ें.
सीएम योगी ने बच्चों से कहा कि दूसरों के नोट्स के भरोसे कभी तैयारी न करें. खुद तैयार करें. विषय का कॉन्सेप्ट क्लियर नहीं होगा तो नोट्स आपको तात्कालिक सफलता तो दिला सकता है लेकिन दीर्घकालिक लक्ष्यों में यह कभी उपयोगी नहीं होगा. मेधावियों से उनके कॅरियर की योजना पर चर्चा करते हुए सीएम योगी ने कहा कि राज्य सरकार अभ्युदय कोचिंग संचालित करती है. यहां नीट, जेईई, यूपीएससी, यूपीपीएससी, एनडीए, सीडीएस सहित विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की निःशुल्क तैयारी कराई जाती है. इसकी विशेषता यह है कि इसका संचालन उनके द्वारा किया जाता है, जिन्होंने सम्बंधित परीक्षा को उत्तीर्ण कर लिया है. जैसे युवा आईएएस, आईपीएस, पीसीएस, पीपीएस अधिकारी, युवा डॉक्टर, नव चयनित इंजीनियर्स आदि. यह अभिनव कोचिंग वर्चुअल और फिजिकल दोनों मोड में चलती है. स्कूलों में बच्चों को इसकी जानकारी दी जानी चाहिए.
कू एप्प पर सीएम योगी आदित्यनाथ का बच्चों से संवाद करते हुए एक वीडियो भी सीएम योगी आदित्यनाथ के आधिकारिक अकाउंट से कू किया गया है. उस वीडियो में वे कह रहे हैं, ‘पुस्तक को घर में, कूड़ेदान में फेंकने की बजाय, रद्दी मानकर बेचने की बजाय उसको विद्यालय की लाइब्रेरी को दान कर दें, किसी गरीब बच्चे को दे दें.’ उसी में मनोज कुमार नाम के एक यूजर ने लिखा है, ‘बहुत अच्छा विचार है पर निजी स्कूलों में भी सरकारी किताबें लगनी चाहिये क्योंकि जिस राज्य में जो सरकार होती है और जैसी सोच का स्कूल का मालिक होता है वह अपने हिसाब से किताबें छपवाते हैं. दूसरी बात, निजी स्कूलों की किताबों में ही प्रश्न-उत्तर, रिक्त स्थान भरना होता है. इसको टीचर चेक करते हैं और साइन कर देते हैं, जिससे विद्यार्थी अगले साल दान देने वाला काम न कर सके. कृप्या इसे पूरे देश में बंद करवाया जाए.’