Lucknow News: सीएम योगी आदित्यनाथ से कई दिनों से चर्चित स्थानांतरण नीति पर चर्चा की गई. मौका था विभिन्न विभागों के प्रेजेंटेंशन का. इस दौरान अधिकारियों की कार्यशैली को सुधारने और जनता की समस्याओं का ज्यादा से ज्यादा समाधान कराने पर जोर दिया गया. इस बीच तय किया गया कि वर्षों से एक ही स्थान पर कार्यरत कर्मियों का स्थानांतरण किया जाए. विकास प्राधिकरणों की कार्यशैली को पारदर्शी बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं.
बता दें कि उत्तर प्रदेश में नया स्थानांतरण सत्र शुरू हो गया है लेकिन अब तक नई तबादला नीति नहीं जारी हुई है. अधिकारियों व कर्मचारियों से लेकर सरकार के मंत्रियों तक को नई स्थानांतरण नीति का इंतजार है. योगी सरकार के पहले कार्यकाल में 29 मार्च 2018 को एक साथ 2018-19 से 2021-22 के लिए तबादला नीति घोषित की गई थी. नीति में तबादले 31 मई तक पूरी करने की व्यवस्था थी. इसके बाद तय प्रक्रिया के तहत सक्षम स्तर यानी विभागाध्यक्ष, शासन, मंत्री या मुख्यमंत्री से अनुमति लेकर तबादले करने की व्यवस्था की गई थी.
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वर्ष 2020 में कोविड महामारी का प्रसार बढ़ा तो 12 मई 2020 को कुछ प्रतिबंधों के साथ सभी तबादलों पर रोक लगा दी गई. योगी सरकार के आखिरी वर्ष 2021-22 में चुनाव से पहले तबादले की कार्यवाही शुरू की गई लेकिन कोविड के चलते 15 जून 2021 को स्थानांतरण नीति के तहत आदेश हुए और 15 जुलाई तक तबादले करने को कहा गया. यह नीति 31 मार्च 2022 को समाप्त हो चुकी है. अब एक अप्रैल से स्थानांतरण सत्र 2022-23 शुरू हो चुका है.
पूर्व की नीति के अनुसार हर वर्ष विभाग के कार्मिकों की संख्या के 20 प्रतिशत तक तबादलों की अनुमति दी जाती रही है. जिले में 3 वर्ष व मंडल में 7 वर्ष पूरा करने वाले कर्मी हटाए जाते रहे हैं. विधानसभा चुनाव से जुड़े जो कार्मिक एक स्थान पर तीन वर्ष पूरा कर चुके थे, उन्हें हटाया जा चुका है. मगर अन्य कर्मचारियों को तबादलों का इंतजार है. कर्मचारियों का कहना है कि समय से स्थानांतरण न होने से सबसे ज्यादा मुश्किल बच्चों के स्कूलों में दाखिले को लेकर होती है. कई बार अच्छे स्कूलों में दाखिला नहीं मिल पाता. बीमारी व अन्य वाजिब कारणों से तबादले के लिए परेशान कर्मियों को भी नई तबादला नीति का इंतजार है.