पूर्व मंत्री आजम खां को जौहर ट्रस्ट जमीन मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट से झटका लगा है. कोर्ट ने मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट रामपुर के लिए अधिग्रहित 12.50 एकड़ जमीन के अतिरिक्त शेष जमीन को राज्य में निहित करने संबंधी अपर जिलाधिकारी के आदेश को सही करार दिया है.
कोर्ट ने कहा कि मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट रामपुर की कुल 471 एकड़ जमीन में से अब ट्रस्ट के पास केवल 12.50 एकड़ जमीन ही रहेगी. एसडीएम की रिपोर्ट और एडीएम के आदेश की वैधता को चुनौती देने वाली ट्रस्ट की याचिका अदालत ने खारिज कर दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने ट्रस्ट की तरफ से दाखिल याचिका पर दिया है.
हाईकोर्ट ने कहा अनुसूचित जाति की जमीन जिलाधिकारी की अनुमति के बिना अवैध तरीके से ली गई. अधिग्रहण शर्तो का उल्लंघन कर शैक्षिक कार्य के निर्माण के बजाय मस्जिद का निर्माण कराया गया. गांव सभा की सार्वजनिक उपयोग की चकरोड जमीन और नदी किनारे सरकारी जमीन ली गई.
जमीन को जबरन किसानों से लिया गया. जिसके बाद 26 किसानों ने आजम खां के खिलफ एफआईआर दर्ज कराई. निर्माण पांच साल में होना था, इसकी वार्षिक रिपोर्ट नहीं दी गई. जिसके बाद कोर्ट ने कानूनी उपबंधों और शर्तो का उल्लंघन करने के आधार पर जमीन राज्य में निहित करने के आदेश पर कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इंकार किया है.
सरकार की तरफ से कहा गया कि अनुसूचित जाति की जमीन बिना अनुमति के ली गई. ऐसा अधिग्रहण अवैध है. यही नहीं अधिग्रहण शर्त्तों के विपरीत विश्विद्यालय परिसर में मस्जिद का भी निर्माण कराया गया. ट्रस्ट को सरकार ने 5 नवंबर को शर्तो के अधीन जमीन दी थी. कोर्ट ने एडीएम की कार्यवाही को नियमानुसार बताते हुए याचिका खारिज कर दी. मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट की तरफ से याचिका दाखिल की गई थी.
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Posted By Ashish Lata