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Gangster Vikas Dubey Case: गैंगस्टर विकास दुबे के भाई दीपक दुबे को हाईकोर्ट से मिली जमानत, ये था आरोप

Gangster Vikas Dubey Case दीपक दुबे का कहना था कि उसे विकास दुबे का भाई होने के कारण उसे फंसाया गया है. पुलिस ने चार मामलों में फंसाया है, जबकि वह 16 साल का नाबालिग है.

Gangster Vikas Dubey Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिकरू कांड के मुख्य साजिशकर्ता गैंगस्टर विकास दुबे के भाई दीपक दुबे की जमानत मंजूर कर ली है. आरोप है कि अपराध करने के लिए दूसरे के नाम के सिम कार्ड का इस्तेमाल कर धोखाधड़ी की है. याची दीपक दुबे पर आरोप है कि अपराध करने के लिए दूसरे के नाम के सिम कार्ड का इस्तेमाल कर धोखाधड़ी की है. दीपक दुबे की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जस्टिस सिद्धार्थ कि सिंगल बेंच ने दिया है.

दीपक दुबे का कहना था कि उसे विकास दुबे का भाई होने के कारण उसे फंसाया गया है. पुलिस ने चार मामलों में फंसाया है, जबकि वह 16 साल का नाबालिग है. उसने किसी भी अपराध के लिए अपने मोबाइल फोन नंबर का इस्तेमाल नहीं किया. कथित मोबाइल फोन के असली मालिक दया शंकर अग्निहोत्री द्वारा उनके खिलाफ कोई शिकायत दर्ज कराई गईं हैं. बता दें कि दीपक जनवरी 2021 से जेल में बंद है.

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बता दें कि 2 3 जुलाई 2020 को कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र में बिकरु गांव में दबिश देने गई पुलिस टीम पर कुख्यात बदमाश विकास दुबे ने अपने गुर्गों के साथ जानलेवा हमला कर दिया था जिसमे डिप्टी एसपी समेत 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे जबकि आधा दर्जन से ज्यादा घायल थे.बता दे कि विकास दुबे के खिलाफ 62 मुकदमे दर्ज थे.विकास पुलिसकर्मियों की हत्या करने के बाद फरार हो गया था.जिसकी तलाश में पुलिस लगातार दबिश दे रही थी.8 जुलाई 2020 को विकास ने नाटकीय ढंग से मध्यप्रदेश पुलिस को आत्मसमर्पण कर दिया था .जिसके यूपी पुलिस को उसे सौप दिया गया.

जिसके बाद यूपी पुलिस ने उसे कानपुर ले कर आ रही थी तभी कानपुर के भौति इलाके में गाड़ी के आगे अचानक मवेशियों के झुंड आ गया और गाड़ी पलट गई. गाड़ी पलटने के बाद विकास दरोगा की पिस्टल लेकर भागने लगा. जिसे एसटीएफ ने आत्मसमर्पण करने को लेकिन उसने नही किया और पुलिस टीम पर फायरिंग करने लगा जिसके बाद उसे मुठभेड़ में ढेर कर दिया गया.हालाकि विकास के एनकाउंटर से शियासत नही गर्मा गई थी.जिसके बाद पूरे मामले में जांच के लिए एसआईटी का गठन हुआ और लगातार 2 साल से जांच जारी है.

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