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यूपी में 101 साल पुराना है होम्योपैथी चिकित्सा शिक्षा का इतिहास, जानें लखनऊ से नेशनल मेडिकल कॉलेज का सफर

होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति को मीठी गोलियों के लिये जाना जाता है. इस चिकित्सा पद्धति की शिक्षा का यूपी में इतिहास 101 साल पुराना है. इस पूरे सफर को बयां किया है होम्योपैथी चिकित्सक डॉ. दुर्गेश चतुर्वेदी ने. लखनऊ के होम्योपैथी कित्सकों ने कैसे देश-विदेश में नाम रोशन किया.

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यूपी में 101 साल पुराना है होम्योपैथी चिकित्सा शिक्षा का इतिहास, जानें लखनऊ से नेशनल मेडिकल कॉलेज का सफर 2

Lucknow: होम्योपैथी चिकित्सा शिक्षा में मॉडल के रूप में पहचान बनाने वाला नेशनल होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज 101 साल का हो चुका है. इस कॉलेज ने अनगिनित होम्योपैथी चिकित्सक दिये हैं, जिनकी ख्याति देश भर में है. शनिवार को इसी होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों की एलुमनाई मीट है. जिसमें नये-पुराने चिकित्सक मिलकर अपनी यादें ताजा कर रहे हैं.

एलुमनाई मीट के आयोजन से जुड़े डॉ. दुर्गेश चतुर्वेदी ने होम्योपैथी चिकित्सा शिक्षा के विकास के बारे में बताया कि 20वीं शताब्दी की शुरुआत में होम्योपैथिक चिकित्सा शिक्षा के विकास के लिए एक विशेषज्ञ संस्थान की जरूरत महसूस होने लगी थी. इसी के फलस्वरूप सन 1912 में डॉ. जीएन ओहदेदार के मार्गदर्शन में लखनऊ के होम्योपैथिक चिकित्सकों ने लखनऊ होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज की शुरुआत की थी. यह कॉलेज वर्ष 1920 तक अपने अस्तित्व में रहा था.

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इसके बाद वर्ष 1921 में डॉ. बीएस टंडन के नेतृत्व में नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय की शुरुआत की गयी. इसी में पूर्व में स्थापित मेडिकल कॉलेज का विलय कर दिया गया. अमेरिका के चिकित्सक डॉ. जेटी कैंट के शिष्य शिकागो से एमडी की डिग्री प्राप्त डॉ. जीसी दास इस मेडिकल कॉलेज के पहले प्रिसंपल थे.

नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय में 1921 से 1940 तक दो वर्षीय एचएमबी स्नातक पाठ्यक्रम चलाया जाता था. 1940 से 1950 तक इसे उच्चीकृत कर तीन वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम कर दिया गया. सन् 1950 से चार वर्षीय बीएमएस (डिप्लोमा) पाठ्यक्रम शुरू किया गया. जिसे बात में वर्ष 1951 में मेडिसिन बोर्ड से संबद्ध कर दिया गया.

वर्ष 1957 में इस संस्था की सोसाइटी को राज्य सरकार से गठित समिति ने अधिग्रहित कर लिया था. इस प्रबंध समिति के अधीन यह संस्था फरवरी 1968 तक कार्यरत रही. राज्य सरकार ने 1 मार्च 1968 से इस संस्था को पूर्णतया प्रांतीयकरण कर दिया गया. उसे समय से यह संस्था एक राजकीय संस्था के रूप में कार्यरत है. वर्ष 1961 से पांच वर्षीय जीएचएमएस पाठ्यक्रम शुरू किया गया और मेडिकल कॉलेज को आगरा विश्वविद्यालय से संबद्ध कर दिया गया. 1981 में होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेजों के प्रांतीयकरण के बाद से बीएचएमएस पाठ्यक्रम लागू किया गया.

27 फरवरी 2000 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गोमती नगर में नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज के शिक्षण भवन, ओपीडी व चौराहे पर 22 फिट की डॉ. हैनीमैन की प्रतिमा का शिलान्यास किया था. इस समय नेशनल मेडिकल कॉलेज में तीन विषयों में एमडी पाठ्यक्रम चल रहा है.

इन चिकित्सकों ने बनायी होम्योपैथी की पहचान
  • नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज की छात्रा रहीं और फिर उत्तर प्रदेश होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज में सबसे पहली महिला प्रोफेसर बनी प्रो. रेनू महेंद्र ने बताया कि इस कॉलेज ने कई ख्याति प्राप्त डॉक्टर दिये हैं.

  • डॉ. जीएन ओहदेदार- सन 1912 में “लखनऊ होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज की स्थापना की.

  • डॉ. बीएस टंडन- सन 1921 में नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं 1961 में मोहन होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज की स्थापना की.

  • सन 1925 में अमीनाबाद के झंडे वाले पार्क के पास 5 पैसे और 10 पैसे में मरीजों का इलाज करते थे।

  • डॉ. प्यारेलाल श्रीवास्तव- प्रसिद्ध होम्योपैथिक चिकित्सक लखनऊ के छाछी कुआं के पास प्रैक्टिस करते थे. जीवन के अंतिम पांच वर्षों में लकवा होने के बावजूद लेटे-लेटे ही रोजाना सैकड़ों मरीज देखते थे.

  • डॉ. एपी अरोड़ा- 1937 में नेशनल कॉलेज से मेडिकल शिक्षा ग्रहण करने के बाद लाहौर के अनारकली बाज़ार में प्रैक्टिस करते थे. भारत के विभाजन के बाद वह लखनऊ आये और कैसरबाग में प्रैक्टिस की. उनके पुत्र डॉ. नरेश अरोड़ा ने भी नेशनल कॉलेज से पढ़ाई की और अपने पिता की परंपरा को आगे बढ़ाया.

  • डॉ. एनडी सिंधी- 1939 में नेशनल कॉलेज से शिक्षा ली. इसके बाद पाकिस्तार के सिंध प्रांत में प्रैक्टिस की. विभाजन के बाद लखनऊ आ गये. यहां उन्होंने लालबाग में प्रैक्टिस की.

  • डॉ. केएस खालसा- पुरी होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य के पद पर रहे.

  • डॉ. एमसी बत्रा- नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य रहे. इनके पुत्र डॉ. मुकेश बत्रा ने “बत्रा होम्योपैथिक क्लीनिक” की शुरुआत की और देश-विदेश में कई क्लीनिक की स्थापना की.

  • डॉ. वीके गुप्ता – पद्मश्री अवॉर्ड से सम्‍मानित किये गये और नेहरू होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज दिल्ली में प्राचार्य के पद पर रहे.

  • डॉ. गिरेंद्र पाल- राजस्थान में होम्योपैथी का प्रचार-प्रसार किया. पहली होम्योपैथी यूनिवर्सिटी जयपुर की स्थापना की.

  • डॉ. शशि मोहन शर्मा– वर्तमान में हैनीमैन होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज लंदन ( इंग्लैंड) के प्राचार्य हैं.

  • डॉ. जीबी सिंह- राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज कानपुर के प्राचार्य रहे. तीन बार विधायक रहे. जिसमे एक बार वर्ष 1998 से 2002 तक वन एवं चिकित्सा शिक्षा राज्यमंत्री रहे.

  • डॉ. एससी अस्थाना- भारत सरकार द्वारा स्थापित CCRIMH के पहले निदेशक बने.

  • डॉ. सुनील कुमार- होम्‍योपैथिक ड्रग रिसर्च इंस्‍टीट्यूट के पहले निदेशक बने.

  • डॉ. बीएन सिंह- नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य. यूपी होम्योपैथी के निदेशक, यूपी होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड के अध्यक्ष पद पर अपनी सेवा दी.

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