बासपा ने इस बार मुख्तार अंसारी को बाहर का रास्ता दिखाते हुए मऊ विधानसभा सीट पर प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को चुना है. बसपा यह दांव कितना फायदेमंद होगा, ये तो अब आने वाले विधानसभा में ही पता चल पाएगा. हालांकि पहले भी बसपा भीम राजभर को अंसारी के खिलाफ उतार चुकी है, जिसमें राजभर को हार का सामना करना पड़ा है.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने आज एक ट्वीट में इसकी घोषणा की है. मायावती ने कहा, ‘बीएसपी का अगामी यूपी विधानसभा आमचुनाव में प्रयास होगा कि किसी भी बाहुबली व माफिया आदि को पार्टी से चुनाव न लड़ाया जाए. इसके मद्देनजर ही आजमगढ़ मण्डल की मऊ विधानसभा सीट से अब मुख्तार अंसारी का नहीं बल्कि यूपी के बीएसपी स्टेट अध्यक्ष श्री भीम राजभर के नाम को फाइनल किया गया है.
2012 में भीम राजभर और मुख्तार अंसारी में कड़ी टक्कर देखने को मिली थी. उस दौरान कुल 20 उम्मीदवारों ने अपने किस्मत आजमाए थे. बसपा से भीम राजभर थे, तो वहीं एकता दल से मुख्तार अंसारी ने चुनाव लड़ा था. जिसमें भीम राजभर को कुल 64,306 वोट मिले था, जबकि मुख्तार अंसारी ने 70,210 वोट के साथ जीत हासिल की थी. ऐसे में एक बार फिर से मायावती ने राजभर पर अपना दांव खेला है.
मुख्तार अंसारी एक कद्दावर नेता है, वे जब भी चुनाव लड़ते हैं, अपनी जीत का दबदबा कायम रखते हैं. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बी कुछ ऐसा ही देखने को मिला था. 2017 के चुनाव में करीब 96 हजार वोट हासिल कर सबको पछाड़ा था.
मुख्तार अंसारी का मऊ में दबदबा है. वे इस सीट से पांच बार विधायक रह चुके हैं. वे दो बार निर्दलीय और एक बार अपनी पार्टी कौमी एकता दल से वह विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं. ऐसे में इस बार बसपा का टिकट न देना कहीं बसपा पर ही न उल्टा पड़ जाए.
बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी इन दिनों बांदा जेल में बंद है. जिसकी वजह से मायावती ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया है. मायावती ने कहा कि बीएसपी आगामी चुनाव को लेकर यह कोशिश करेगी कि किसी भी बाहुबली व माफिया को पार्टी में जगह न दें. वहीं भीम राजभर मऊ जिलाध्यक्ष और आजमगढ़ के कोर्डिनेटर थे और पहले भी मायावती ने मुनकाद अली को हटाकर प्रदेश अध्यक्ष की कमान उन्हें सौंपी है. अब एक बार फिर से मऊ से उन्हें मुख्तार अंसारी के खिलाफ प्रत्याशी बनाया है.
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Posted By Ashish Lata