Bareilly News: हिंदुस्तान में पान नवाबों का शौक था. मगर, यह शौक धीरे- धीरे आम आदमी तक पहुंच गया. करीब तीन दशक से लोग पान के साथ गुटखे का भी शौक करने लगे, लेकिन भारतीयों का यह शौक इंडियन रेलवे को ‘कंगाल’ बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहा. पान-गुटखा खाकर रेल सफर करने और रेलवे परिसर में घूमने वाले पैसेंजर के कारण इंडियन रेलवे का खर्च बढ़ गया है.
ट्रेन कोच की विंडो (खिड़की) गेट और प्लेटफार्म पर पान-गुटखे की पीक को साफ करने के चक्कर में हर वर्ष इंडियन रेलवे को करीब 1200 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ते हैं. हालांकि, पैसेंजर की पीक मारने की आदत को छुड़ाने के लिए रेलवे करोड़ों रुपए का विज्ञापन भी देता है. मगर, इसके बाद भी सुधार नहीं हुआ. यही कारण है कि रेलवे को पीक के दाग मिटाने के लिए सालाना 1200 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ते हैं.
इसके साथ ही रेलवे को अधिक पानी का खर्च भी उठाना पड़ रहा है, लेकिन अब रेलवे बोर्ड के चेयरमैन (आरसीबी) ने स्टेशन अधीक्षको को पैसेंजर को जागरूक करने के निर्देश दिए हैं. इसके लिए हर स्टेशन पर जागरूकता पखवाड़ा चलाया जाएगा. इंडियन रेलवे ने ट्रेन और स्टेशन परिसर में थूकने और गंदगी फैलाने पर 500 रुपए का जुर्माना लगाया है. मगर, इसके बाद भी सुधार नहीं हो रहा है.
इंडियन रेलवे ने कुछ एनआर जोन में एक स्टार्टअप को ठेके देने का भी फैसला लिया है. इस कंपनी के जरिए यात्री बायोडिग्रेडेबल पाउच वाला पीकदान खरीद सकेंगे. इस पाउच को आप जेब में भी रख सकते हैं. अलग-अलग साइज के इस पाउच को आप एक से ज्यादा बार भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इस पाउच को कुछ इस तरह से बनाया गया कि इसमें गंदगी ठोस बन जाएगी. मतलब ये कि इसके गिरने या गंदगी फैलाने का भी झंझट नहीं रहेगा. ये इको-फ्रेंडली पाउच होगा. पैसेंजर के इस पाउच को इस्तेमाल करने से रेलवे परिसर या ट्रेन में भी साफ-सफाई बरकरार रहेगी.
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रिपोर्ट: मुहम्मद साजिद ,बरेली