भाजपा के दिग्गज नेता और यूपी के पूर्व सीएम कल्याण सिंह (Former CM Kalyan Singh) ने लंबी बीमारी के बाद शनिवार को इस दुनिया को अलविदा कह दिया. इस खबर के बाद चारो ओर शोक की लहर दोड़ गई. जिसके बाद उनके चाहने वाले उनके भाषणों और कृतित्व को याद करते हुए उन्हें श्रद्घांजलि दे रहे हैं.
कल्याण सिंह ने एक भाषण में कहा था- ‘मैंने अपना जीवन भाजपा के लिए समर्पित किया है, मैं चाहता हूं कि मरूं तो मेरा शव भी भाजपा के झंडे में ही जाए.’ जिसके बाद आज कुछ ऐसा ही हुआ. आज उनके पार्थिव शरीर भाजपा के झंडे में लिपटा था.
कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए रविवार को खुद पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा लखनऊ पहुंचे. कल्याण को श्रद्धांजलि देने के दौरान पीएम भावुक हो गए तो बीजेपी अध्यक्ष ने उनकी वो इच्छा पूरी की जिसमें कल्याण ने कहा था कि जब उनका देहांत हो तो उनका पार्थिव शरीर बीजेपी के झंडे में लिपटकर श्मशान तक जाए.
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अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण चल रहा है. इसकी बुनियाद रखने वाले नेताओं में कल्याण सिंह का नाम अग्रणी है. राम मंदिर के लिए उन्होंने अपनी सरकार तक कुर्बान कर दी और एक दिन की सजा तक पाई. 30 अक्टूबर, 1990 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलवा दी थी. इसके बाद मात्र एक साल में कल्याण सिंह ने भाजपा को उस बुलंदी पर पहुंचाया कि पार्टी ने 1991 में अपने दम पर यूपी में सरकार बना ली.
वे यूपी में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री बने. इसके ठीक बाद कल्याण सिंह ने अपने सहयोगियों के साथ अयोध्या का दौरा किया और राम मंदिर निर्माण की शपथ ली. 6 दिसंबर 1992 को भीड़ ने विवादित ढांचा गिरा दिया और इसके साथ ही राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया.
कुछ साल बाद जब कल्याण ने दोबारा बीजेपी जॉइन की तो उन्होंने एक सभा में कहा ‘संघ और भाजपा के संस्कार मेरे रक्त की बूंद-बूंद में समाए हुए हैं. मेरी इच्छा है कि जीवन भर भाजपा में रहूं और जीवन का जब अंत होना हो तो मेरा शव भी भारतीय जनता पार्टी के झंडे में लिपटकर जाए. कल्याण सिंह ये बयान देते हुए रो पड़े तो जनता के बीच कल्याण सिंह जिंदाबाद के गगनभेदी नारों का शोर उठने लगा.’ कल्याण ने बीजेपी जॉइन करने के बाद यह भी कहा कि उनसे पाप हुआ था, जिसके लिए वह माफी मांगते हैं.
अलीगढ़ की अतरौली तहसील के मढ़ौली गांव में 5 जनवरी 1932 को किसान परिवार में जन्मे कल्याण बचपन में ही संघ से जुड़ गए. 1967 में जनसंघ के टिकट पर अतरौली से पहली बार विधानसभा पहुंचे. इस सीट से लगातार आठ बार 1980 तक जीतते रहे. कुल 10 बार यहां से जीते.
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1986 से शुरू हुए राममंदिर आंदोलन में कल्याण नायक बनकर उभरे.
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2004 में बुलंदशहर और 2009 में एटा से लोकसभा सांसद बने.
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उन्हें 26 अगस्त 2014 को राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया. कुछ समय के लिए वह हिमाचल प्रदेश के कार्यवाहक राज्यपाल भी रहे.
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Posted By Ashish Lata