Kanpur News: कानपुर में महापौर की सीट सामान्य श्रेणी में जा सकती है. इस संभावना को देखते हुए बीजेपी एक बार फिर से ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगा सकती है. इसका मुख्य कारण यह भी है कि कानपुर की तीन सीटों पर ब्राह्मणों और क्षत्रिय मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है. इनमें गोविंदनगर, कल्यानपुर और किदवई नगर शामिल है. इसके अलावा आर्यनगर और महाराजपुर सीट पर भी ब्राह्मण निर्णायक भूमिका में हैं
कानपुर की 5 सीटों पर ब्राह्मण मतदाता प्रत्याशी की हार जीत में निर्णायक भूमिका अदा करते हैं. कांग्रेस ने यहां से तीन प्रत्याशी मैदान में उतारे थे, जिसमे एक को जीत भी हासिल हुई थी. वहीं भाजपा ने दो प्रत्याशियों को मौका दिया और दोनों ने जीत हासिल की. कांग्रेस से अनिल शर्मा ने जीत हासिल की थी जबकि बद्रीनारायण तिवारी और वंदना मिश्रा को बीजेपी के मुकाबले कम मत मिले थे. वहीं भाजपा ने जगतवीर सिंह द्रोण और प्रमिला पाण्डेय को मौका दिया और दोनों ही प्रत्याशियों ने जीत हासिल की. इस बार के निकाय चुनाव में कांग्रेस और भाजपा अपने नए चेहरे मैदान में उतार सकती है.
बताते चलें कि, कांग्रेस की ओर से कानपुर में श्रीप्रकाश जयसवाल महापौर रहे थे. इसके बाद भाजपा से सरला सिंह, रवींद्र पाटनी और उसके बाद फिर कांग्रेस के अनिल शर्मा रहे. अनिल शर्मा के बाद भाजपा से जगतवीर सिंह द्रोण और वर्तमान में महापौर प्रमिला पाण्डेय है.
बताते चलें कि, भले ही कांग्रेस की स्थिति ख़राब हो लेकिन भाजपा इसे हल्के में नहीं ले रही है. पिछले चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के प्रत्याशी में कांटे की टक्कर थी. तीन विधानसभा सीट में कांग्रेस को बड़ी हार मिली थी. जबकि सपा और बसपा का मेयर चुनाव में जनाधिकार न होने कारण उनसे जुड़े वोटर भी कांग्रेस की ओर हो गए थे.
भाजपा के जिला प्रभारी विजय बहादुर का कहना है कि अबकी बार बीजेपी 110 वार्डों में 100 प्रतिशत जीत हासिल करेगी और इसी रणनीति पर पार्टी काम कर रही है. वहीं अबकी बार पार्टी अल्पसंख्यक प्रत्याशी को भी मैदान में उतारेगी. पार्टी को संभावना है कि अबकी बार भी सीट ब्राह्मण कोटे में है. उन्होंने कहा कि, हम लोग काम कर रहे है और मेयर का चुनाव भी हम लोग जीतेंगे.
रिपोर्ट: आयुष तिवारी, कानपुर