Lucknow: किंग जॉज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU Lucknow) के यूरोलॉजी विभाग (Urology Department) में एक दुर्लभ बीमारी (Rare Disease) वाले मरीज का इलाज किया गया है. यह मरीज एक ऐसी दुर्लभ बीमारी के चपेट में आ गया, जिसके दुनिया भर में सिर्फ 10 मरीज ही सामने आये हैं. हालांकि केजीएमयू के यूरोलॉजी विभाग के प्रो. विश्वजीत सिंह ने उसे इस बीमारी से एक सर्जरी से माध्यम से राहत पहुंचायी है.
केजीएमयू (KGMU) के यूरोलॉजी विभाग (Urology Department) के प्रो. विश्वजीत सिंह (Prof Vishwajeet Singh) ने बताया कि कानपुर से आये एक मरीज में जांच के बाद दुर्लभ बीमारी मिली है. एलर्जी के कारण युवक के अंडकोष (Testis) में एक गांठ हो गयी थी. यह गांठ लगभग 12.5 सेंटीमीटर की थी. इससे अंडकोष का कैंसर होने की संभावना बढ़ गयी थी. ज्यादा गंभीर होने पर कैंसर शरीर के अन्य अंगों में भी फैल सकता था.
केजीएमयू (KGMU) पहुंचे कानपुर के मरीज ने यूरोलॉजी विभाग (Urology Department) में अपनी दिक्कत बतायी थी. प्रो. विश्वजीत सिंह ने मरीज की गांठ का पता लगाने के लिये उसका सीटी स्कैन (CT Scan) और एमआरआई (MRI) करायी. कुछ खून की व अन्य जांचे करायी गयी. जांच में पता चला कि अंडकोष (Testis) में 12.5 सेंटीमीटर की गांठ थी. जिससे उसमें खराबी भी आ गयी थी. जांच के बाद गांठ को सर्जरी (Surgery) से निकालने का फैसला किया गया.
प्रो. विश्वजीत सिंह (Prof Vishwajeet Singh) ने बताया कि सर्जरी (Surgery) के माध्यम से गांठ को निकाल दिया गया. इसके बाद गांठ की इम्यूनोग्लोबिन जी-4 मार्कर जांच करायी गयी. जिससे पता चला कि युवक को दुर्लभ बीमारी (Rare Disease) आईजीजी-4 इंड्यूस्ड टेस्टिकुलर ट्यूमर ( igg4 induced testicular tumor ) था. आईजीजी-4 का स्तर खून में बढ़ने से खून की नलियों में सीरम का रिसाव होता है. प्रो. विश्वजीत सिंह ने बताया कि आमतौर पर अंडकोष में जो गांठ होती है, उसमें कैंसर ही होता है.
लेकिन कानपुर से आये युवक के गांठ में कैंसर की पुष्टि नहीं हुई थी. इसी आधार पर उसकी आईजीजी-4 मार्कर जांच करायी गयी. जिसमें दुर्लभ बीमारी आईजीजी-4 इंड्यूस्ड टेस्टिकुलर ट्यूमर की पुष्टि हुई. इम्यूनोपैथोलॉजी जांच से इस ट्यूमर के बारे में पता चल पाया.
प्रो. विश्वजीत सिंह बताते हैं कि देश में इस बीमारी के सिर्फ पांच केस हैं. दुनिया भर में इसके कुल 10 मरीज मिले हैं. इनमें से तीन चीन के हैं. उन्होंने बताया कि सर्जरी के बाद युवक की सेहत में सुधार है. उसे अभी दवाओं पर रखा गया है.