गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में गिरफ्तार अधीक्षण अभियंता रूप सिंह यादव और कार्यालय सहायक राजकुमार यादव की पुलिस कस्टडी बढ़ा दी गई है. सीबीआई के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट से रिमांड मिलने के बाद बुधवार देर को दोनों से सीबीआई के अधिकारियों ने बारी-बारी से गहन पूछताछ की. दोनों से रिवर फ्रंट का निर्माण कार्य करने वाली कंपनियों और ठेकेदारों से लिए गये कमीशन के बारे में सख्ती से पूछताछ की गयी है. इस दौरान बाकी आरोपित इंजीनियरों समेत आधा दर्जन से ज्यादा सिंचाई विभाग के अधिकारियों को बुलाकर आमना-सामना भी कराया गया. देर रात तक नवल किशोर रोड़ स्थित सीबीआई मुख्यालय में सिंचाई विभाग के इंजीनियरों से पूछताछ का सिलसिला जारी था.
दरअसल सीबीआई ने पांच दिन पहले रूप सिंह यादव और राजकुमार यादव को रिवर फ्रंट के निर्माण कार्य में घोटाले को अंजाम देने के आरोप में गिरफ्तार किया था. जांच में सामने आया था कि दोनों ने बाकी इंजीनियरों की मिलीभगत से फर्जी वर्क आर्डर तैयार कर ठेकेदारों को भुगतान कर दिया. साथ ही शासन के निर्देशों के विपरीत महंगी दरों पर सामान की खरीद-फरोख्त कर करोड़ों रुपए कमीशन लिया.
सीबीआइ के सूत्रों की माने तो अब तक की जांच में करीब 100 करोड़ रुपये के लेन–देन को संदिग्ध पाया गया है जो रिवर फ्रंट का निर्माण करने वाली विभिन्न कंपनियों और ठेकेदारों के बैंक खातों से हुआ है. अब सीबीआई बारी-बारी से आरोपित इंजीनियरों के अलावा कंपनी के अधिकारियों और ठेकेदारों को तलब कर यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि बैंकों से निकाली गयी इस रकम का इस्तेमाल किस कार्य में हुआ था.
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दरअसल सीबीआई को शक है कि यह रकम इंजीनियरों को कमीशन बांटने के लिए निकाली गई थी. वहीं दूसरी ओर सीबीआई के सामने पेश हुए बाकी आरोपित इंजीनियरों ने कबूला है कि उन्होंने ज्यादातर कार्य रूप सिंह यादव के आदेश पर किए थे. जिसके बाद उनका रूप सिंह यादव से आमना-सामना कराते हुए तमाम सवाल पूछे गए.
सीबीआइ टीम के सूत्र के अनुसार आरोपित अभियंता ने कबूला कि अभियंताओं के पास कमीशनखोरी की जो रकम आई उसे उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर निवेश कर दिया. खास तौर पर महिलाओं के नाम पर. इसे आरोपियों ने आयकर की धाराओं की आड़ में कानूनी जामा पहनाने की कोशिश की. सूत्र बताते हैं कि पूर्व में प्रवर्तन निदेशालय ने भी इस मामले में जो छानबीन की थी उसमें भी यह तथ्य सामने आए थे. सीबीआई टीम ने दोनों गिरफ्तार आरोपियों से पूछा कि डेढ़ हजार करोड़ से अधिक की लागत की इस परियोजना में 90 फीसदी बजट सिर्फ 60 फीसदी काम पर खर्च कर दिया गया.
Posted by : Thakur Shaktilochan