Varanasi News: फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि एक मार्च यानी आज है. इसी दिन व्रत रखना और पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकमानएं पूरी होती हैं. महाशिवरात्रि (Mahashivratri) फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी के दिन ही होती है. भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने के लिए प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि (मासिक शिवरात्रि) को व्रत रखा जाता है. आइए जानते हैं घर में सुख-समृद्धि के लिए महाशिवरात्रि पर किस तरह करें पूजन...
काशी में द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ के दर्शनों के लिए भक्तों की भारी भीड़ इक्कठी होती हैं. ऐसे में काशी के धर्माचार्य से महाशिवरात्रि पर्व को लेकर विशेष पूजा -अर्चना विधि बताई. ज्योतिषचार्य धर्माचार्य पण्डित पवन त्रिपाठी ने बताया कि भगवान शिव को चार चीजें हमेशा प्रिय हैं मदार की माला, धतूरा, बिल्वपत्र और भांग. हमारे यहां धर्मशास्त्र ,ज्योतिषशास्त्र ,आयुर्वेद का बहुत अच्छा समन्वय है. आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार ये चारों अमृत है, लेकिन कालांतर में जब हम एलोपैथी की तरफ़ आये तो यह अमृत कहीं खो गया.
बिल्वपत्र के बारे में कहा जाता है कि इसमे माता जगदम्बा का वास होता है, और भगवान शिव मां जगदम्बा के बिना एक क्षण नहीं रह पाते हैं. इसीलिए तो भगवान शिव अर्धनारीश्वर कहलाते हैं. ऐसा कोई और देवता नहीं हुआ जिसके आधे शरीर में नारी और आधे में पुरुष का वास हो. बेलपत्र, भांग, धतूरा, मदार ये सब समाज की त्याज्य वस्तु है. क्योंकि उन्हें कोई शरीर में स्वास्थ्य की दृष्टि से ग्रहण नहीं कर पाता. ऐसे में भगवान भोलेनाथ समाज की इन त्याज्य वस्तुओं को ग्रहण करता है.
महाशिवरात्रि पर्व पर पूजा विधान की प्रातःकाल विधि हैं. स्नान-ध्यान करने के पश्चात शिवरात्रि का व्रत करने का संकल्प करना चाहिए. इसके बाद अपना नाम और गोत्र का नाम लेते हुए महीने, दिन का नाम, तिथि का नाम लेकर शिव का पूजन करना चाहिए. किसी भी पूजन में गणेश जी की पूजा पहले की जाती है. इसमे दूर्वा और लड्डू का भोग लगाकर पूजन करना चाहिए. इसके बाद भगवान शंकर की पूजा के समय शुद्ध आसन पर बैठकर पहले आचमन करें. यज्ञोपवित धारण कर शरीर शुद्ध करें. तत्पश्चात आसन की शुद्धि करें.
पूजन-सामग्री को यथास्थान रखकर रक्षादीप प्रज्ज्वलित कर लें. यदि आप रूद्राभिषेक, लघुरूद्र, महारूद्र आदि विशेष अनुष्ठान कर रहे हैं, तब नवग्रह, कलश, षोडश-मात्रका का भी पूजन करना चाहिए. संकल्प करते हुए भगवान गणेश व माता पार्वती का पूजन करें फिर नन्दीश्वर, वीरभद्र, कार्तिकेय (स्त्रियां कार्तिकेय का पूजन नहीं करें) एवं सर्प का संक्षिप्त पूजन करना चाहिए. इसके पश्चात हाथ में बिल्वपत्र एवं अक्षत लेकर भगवान शिव का ध्यान करें.
भगवान शिव का ध्यान करने के बाद आसन, आचमन, स्नान, दही-स्नान, घी-स्नान, शहद-स्नान व शक्कर-स्नान कराएं. इसके बाद भगवान का एक साथ पंचामृत स्नान कराएं, फिर सुगंध-स्नान कराएं फिर शुद्ध स्नान कराएं. इसके बाद भगवान शिव को वस्त्र चढ़ाएं. वस्त्र के बाद जनेऊ चढाएं. फिर सुगंध, इत्र, अक्षत, पुष्पमाला, बिल्वपत्र चढाएं. अब भगवान शिव को विविध प्रकार के फल चढ़ाएं.
इसके पश्चात धूप-दीप जलाएं. हाथ धोकर भोलेनाथ को नैवेद्य लगाएं. नैवेद्य के बाद फल, पान-नारियल, दक्षिणा चढ़ाकर आरती करें. (जय शिव ओंकारा वाली शिव-आरती) इसके बाद क्षमा-याचना करें. इस प्रकार संक्षिप्त पूजन करने से ही भगवान शिव प्रसन्न होकर सारे मनोरथ पूर्ण करेंगे. घर में पूरी श्रद्धा के साथ साधारण पूजन भी किया जाए तो भगवान शिव प्रसन्न होते हैं, और घरों में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है.
रिपोर्ट- विपिन सिंह