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स्वतंत्रता सेनानी सरजू पांडेय के गांव में स्मारक और प्रवेश द्वार बनवाने की मांग

पूर्वांचल के महान स्वतंत्रता सेनानी सरजू पांडेय रसड़ा और गाजीपुर जिले में वर्ष 1957 से वर्ष 1977 तक 4 बार सांसद रहे. उसके बाद 10 सालों तक उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य के तौर पर गरीबों और वंचितों की आवाज सदन में उठाते रहे.

उत्तर प्रदेश में गाजीपुर जिला के कासिमाबाद स्थित स्वतंत्रता सेनानी सरजू पांडेय का पैतृक गांव उरहां जगदीशपुर आज भी उपेक्षित है. गांव में उनकी स्मृति में स्मारक और प्रवेश द्वार बनवाने की मांग को लेकर जनननेता सरजू पांडेय स्मृति न्यास के अध्यक्ष ऋषि ने सांसद अफजाल अंसारी से भेंट कर ज्ञापन सौंपा.

गरीबों की आवजा मजबूती से उठाते थे सरजू पांडेय

उन्होंने सांसद से मांग की कि जिला योजना समिति की बैठक में वह स्मारक और प्रवेश द्वार बनवाने की मांग जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों के सामने रखें, ताकि इस पर गंभीरता से विचार हो सके. सरजू पांडेय जीवन भर गरीबों और मजलूमों के हक की आवाज को मजबूती से उठाते रहे. स्वतंत्रता आंदोलन में उनका अप्रतिम योगदान रहा.

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पब्बर राम के गांव में भी बने स्मारक

इसलिए उनके पैतृक गांव में भी स्मारक और प्रवेश द्वार बनाये जाने की जरूरत है, ताकि आने वाली पीढ़ियां उनके बारे में जान सकें और उनसे प्रेरणा ले सकें. ऋषि ने स्वतंत्रता सेनानी, पूर्व विधायक और पूर्व चेयरमैन नगरपालिका पब्बर राम के गांव में भी उनके नाम पर एक स्मारक बनवाने की मांग की.

4 बार सांसद रहे सरजू पांडेय

गौरतलब है कि पूर्वांचल के महान स्वतंत्रता सेनानी सरजू पांडेय रसड़ा और गाजीपुर जिले में वर्ष 1957 से वर्ष 1977 तक 4 बार सांसद रहे. उसके बाद 10 सालों तक उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य के तौर पर गरीबों और वंचितों की आवाज सदन में उठाते रहे.

कासिमाबाद थाना फूंकने के मामले में 7 साल जेल में रहे

स्वतंत्रता आंदोलन में वह बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे. 15 अगस्त 1942 को कासिमाबाद थाना फूंकने और आंदोलन करने पर उन्हें 7 साल तक जेल में रहना पड़ा था. उनके पैतृक गांव की कुर्की हुई थी. फिर भी उन्होंने अंग्रेजों से लोहा लेना नहीं छोड़ा. वर्ष 1964 में संसद में उन्होंने अपनी पार्टी के इतर अनुच्छेद 370 के विरोध में आवाज बुलंद की.

अमित शाह ने संसद में किया सरजू पांडेय का जिक्र

वर्ष 2019 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने खुद संसद में इसका जिक्र किया था, जिस समय अनुच्छेद 370 के खिलाफ नरेंद्र मोदी की सरकार संसद में बिल लायी थी. सरजू पांडेय ने भारत-चीन युद्ध के समय भी अपनी पार्टी से हटकर रुख अपनाया और भारतीय सेना के पक्ष में बोले.

इंदिरा, अटल, चंद्रशेखर से थे करीबी संबंध

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, चंद्रशेखर जैसे दिग्गज राजनेताओं से उनके करीबी रिश्ते थे. सरजू पांडेय ने गाजीपुर में गंगा पुल पर बने हमीद सेतु के लिए तत्कालीन केंद्रीय मंत्री कमलापति त्रिपाठी से विशेष मंजूरी दिलवायी थी. पूर्वांचल की गरीबी का मुद्दा विश्वनाथ सिंह गहमरी के साथ मिलकर संसद में उठाया. इसके बाद केंद्र सरकार ने इस मुद्दे को जनाने के लिए पटेल आयोग का गठन किया.

हरि बेगारी और नजराना प्रथा के खिलाफ सरजू पांडेय ने की थी लड़ाई

सरजू पांडेय ने हरि बेगारी और नजराना प्रथा के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी. उन्होंने वर्ष 1970 में कासिमाबाद के रेंगा गांव में 110 बीघा जमीन का वितरण पिछड़े वर्ग और दलित भूमिहीनों में करवाया. हाल ही में सरजू पांडेय का जन्मशताब्दी समारोह मनाया गया, जिसमें राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने पत्र भेजा, जिसमें सरजू पांडेय को मजलूमों का मसीहा बताया.

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