Mulayam Singh Yadav: अखाड़े में पहलवानों को पटखनी देने वाले मुलायम सिंह यादव ने जब राजनीति में कदम रखा तो सियासत ने एक नए युग को देखा. तीन बार उत्तर प्रदेश की कमान और देश के रक्षा मंत्री का पदभार संभालने वाले धरतीपुत्र ने अपने कार्यकाल में कुछ ऐसे फैसले लिए, जिनकी वजह से उन्हें खूब सराहा गया तो, तीखी आलोचना का भी सामना करना पड़ा. आइए जानते हैं सपा संस्थापक के वो फैसले जिनके कारण मुलायम सिंह यादव चर्चा में रहे.
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मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री रहते हुए पीसीएस की परीक्षा में अंग्रेजी की अनिवार्यता खत्म कर दी थी. इससे लाखों गरीब और पिछड़े युवा उनके समर्थक बन गए.
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मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री रहते हुए प्रदेश के शिक्षकों और कर्मचारियों को सीधे ट्रेजरी से पेंशन दिलाने का काम किया किया था, जिसका श्रेय भी उन्हें ही जाता है. इससे लाखों पेंसनरों को राहत मिली.
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मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री रहते अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिया था. हालांकि, इसको लेकन उन्हें तीखी आलोचना का भी सामना करना पड़ा.
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मुलायम सिंह यादव ने रक्षामंत्री रहते हुए सुखोई लड़ाकू विमान खरीद को मंजूरी दी थी. जोकि रक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुआ.
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मुलायम सिंह यादव ने रक्षामंत्री रहते हुए शहीद सैनिकों के शवों को घर तक पहुंचाने का भी निर्णय लिया था.
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मुलायम सिंह यादव ने ही उत्तर प्रदेश से चुंगी को खत्म कराया. इससे आम जनता को बड़ी राहत मिली.
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मुलायम सिंह यादव ने1992 में बाबरी मस्जिद गिरने के बाद जनता दल (समाजवादी) से अलग होकर समाजवादी पार्टी के रूप में अपनी अलग पार्टी बनाई.
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मुलायम सिंह यादव ने जब साल 2012 में जब अचानक अखिलेश यादव को सीएम बनाने का फैसले लिया तो उनका ये निर्णय उस समय चर्चा का विषय बन गया.
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मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav Death) का 83 वर्ष की आयु में 10 अक्टूबर को निधन हो गया. उनमें सियासी हवा को भांपने की गजब क्षमता थी. वह जिस बैकग्राउंड से राजनीति में आए और मजबूत होते चले गए. उसमें उनकी सूझबूझ थी, और हवा को भांपकर अक्सर पलट जाने की प्रवृत्ति भी. कई बार नेताजी ने अपने फैसलों और बयानों से खुद ही अलग कर लिया.