Aligarh News: अधिकतर पूरे भारतवर्ष में करवा चौथ का व्रत 13 अक्टूबर का है, इस दिन पत्नी अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती है जो भारतीय परंपरा का अभिन्न अंग है. सोशल मीडिया पर नई नवेली दुल्हन, जो पहली बार करवा चौथ का व्रत रख रही है, उनको टारगेट करते हुए यह वायरल हो रहा है कि नई नवेली दुल्हन इस बार अपना पहला करवा चौथ का व्रत ना रखें. आखिर क्या कहता है ज्योतिष, आइए जानते हैं.
किसी भी सुहागिन के लिए साल में एक बार करवा चौथ का व्रत बहुत महत्वपूर्ण बताया है, चाहे वह नई नवेली दुल्हन हो या 60 साल की वृद्ध. इस बार सोशल मीडिया पर नई नवेली दुल्हन के करवा चौथ व्रत करने को लेकर खबरें चल रही हैं कि पहला करवा चौथ का व्रत न रखें. इस दावे का कारण लोग करवा चौथ वाले दिन शुक्र ग्रह का अस्त होना बता रहे हैं. बताया जा रहा है कि शुक्र ग्रह 1 अक्टूबर से अस्त है, जो 20 नवंबर तक रहेगा. शुक्र ग्रह अस्त होने पर कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता, जैसे नए घर का पूजन, मुंडन, विवाह नए कार्य का प्रारंभ, व्रत का उद्यापन आदि.
अलीगढ़ के ज्योतिषाचार्य पंडित ह्रदय रंजन शर्मा ने बताया कि शुक्र अस्त होने के कारण से केवल शुभ विवाह, विवाह में भांवर प्रक्रिया के लिए विशेष रूप से निषेध बताया जाता है. शुक्र अस्त का करवा चौथ का व्रत रखने वाली माताओं बहनों से कोई मतलब नहीं है. करवा चौथ का मतलब चंद्रमा से है न कि शुक्र से, नई नवेली दुल्हन पूर्ण मनोयोग से पहली बार करवा चौथ का व्रत रखें, नई साड़ी पहनें, नई चूड़ियां पहनें, नए बिछिया पहनें और विधि विधान से करवा चौथ का व्रत रखें. रात्रि में चंद्रमा को जल चढ़ाकर अपने पति द्वारा व्रत खोलें.
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रिपोर्ट : चमन शर्मा