Gorakhpur News: एशिया के सबसे लंबे प्लेटफॉर्म वाले रेलवे स्टेशन गोरखपुर पर वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट के तहत टेराकोटा के बने सामान यात्रियों को लुभा रहे हैं. यात्री आसानी से रेलवे स्टेशन पर ही टेराकोटा के सामानों को आसानी से खरीद पाएंगे. समूह की महिलाओं द्वारा इन प्रोडक्ट को तैयार किया जा रहा है. टेराकोटा के साथ-साथ केले के रेशे से बना सामान भी इन महिलाओं ने तैयार किया है. गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर स्टाल लगाकर इन सामानों को बेचा जा रहा है. इन सामानों के बेचने पर जो लाभ मिल रहा है. वह समूह की महिलाएं अपने पास रखेगीं. इससे उन्हें लाभ होगा और उनका परिवार भी आसानी से चलेगा.
इस संबंध में स्टॉल के मालिक विशाल श्रीवास्तव ने बताया कि मोदी और योगी जी की स्कीम है वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट (ODOP) उसी प्रोडक्ट को रेलवे स्टेशन पर हम लोगों ने लगाया है. गोरखपुर में टेराकोटा काफी प्रसिद्ध है. उसके बने सामान पूरे भारत के साथ-साथ विदेशों में भी भेजे जाते हैं. टेराकोटा के बने आभूषण और केले की रेशे से बने सामान को हम लोग यहां पर स्टॉल लगाकर बेच रहे हैं. इससे स्टेशन पर ही यह सामान आसानी से यात्रियों को मिल सके और बिक्री बढ़ने से जो लोग से इस काम से जुड़े हुए हैं, उनको रोजगार मिले. इससे उनका आय बढ़ जाए.
उन्होंने बताया कि लेडीज आभूषण के साथ-साथ केले के रेशे से बने सामान यहां पर बेचे जा रहे हैं. यह सामान समूह की महिलाओं द्वारा तैयार किया जा रहा है. इससे जो लाभ मिलेगा, वह समूह की महिलाओं को दिया जाएगा. इससे उनका परिवार आसानी से चलेगा. उन्होंने बताया कि फिलहाल टेराकोटा से बने ज्वेलरी और केले के रेशे से बना सामान मार्केट में नया है. जब इसके बारे में ग्राहकों को बताया जा रहा है तो उन्हें यह लग रहा है कि मिट्टी से तैयार आभूषण इतनी महंगी क्यों है? हम लोग उसके बारे में और उसकी महत्ता के बारे में बता रहे हैं. इससे उन्हें इसके बारे में जानकारी हो रही है.
गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर स्टाल पर लगे टेराकोटा के आभूषण और केले के रेशे से बने सामान यात्रियों को काफी लुभा रहे हैं. महंगे होने के कारण कुछ लोग इसे नहीं ले पा रहे हैं लेकिन जब इसके बारे में और इसके महत्व के बारे में लोगों को जानकारी हो रही है तो वह इसे खरीद रहे हैं. गोरखपुर रेलवे स्टेशन एशिया का सबसे लंबा प्लेटफार्म वाला स्टेशन होने के कारण और गोरखपुर के साथ-साथ कुशीनगर और लुंबिनी पास होने के कारण विदेशी यात्री भी यहां ज्यादा संख्या में आते हैं. उनके आने से टेराकोटा और केले के रेशे से बने सामान विदेशों तक भी पहुंच रहे हैं.
रिपोर्ट : कुमार प्रदीप