President Ram Nath Kovind in Ayodhya: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद रविवार को रामनगरी अयोध्या पहुंचे. यहां उन्होंने रामायण कॉनक्लेव का शुभारंभ और पर्यटन व संस्कृति विभाग की विभिन्न योजनाओं का लोकार्पण/शिलान्यास किया. इस दौरान राष्ट्रपति पूरी तरह राम की भक्ति में डूबे नजर आए. उन्होंने रामायण कॉन्क्लेव का आयोजन करके कला और संस्कृति के माध्यम से आम लोगों तक रामायण पहुंचाने के लिए यूपी सरकार द्वारा शुरू किए गए अभियान के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी टीम की सराहना की.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, इस रामायण कॉन्क्लेव की सार्थकता सिद्ध करने हेतु यह आवश्यक है कि राम-कथा के मूल आदर्शों का सर्वत्र प्रचार-प्रसार हो और सभी लोग उन आदर्शों को अपने आचरण में ढालें. उन्होंने कहा, समस्त मानवता एक ही ईश्वर की संतान है, यह भावना जन-जन में व्याप्त हो, यही इस आयोजन की सफलता की कसौटी है. इस सन्दर्भ में रामचरित मानस की एक अत्यंत लोकप्रिय चौपाई का मैं उल्लेख करना चाहूंगा ‘सिया राममय सब जग जानी, करउं प्रनाम जोरि जुग पानी’. इस पंक्ति का भाव यह है कि हम पूरे संसार को ईश्वरमय जानकर सभी को सादर स्वीकार करें. हम सब, प्रत्येक व्यक्ति में सीता और राम को ही देखें. राम सबके हैं और राम सब में हैं.
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, रामकथा के महत्व के विषय में गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा है: रामकथा सुंदर करतारी, संसय बिहग उड़ावनि-हारी, अर्थात राम की कथा हाथ की वह मधुर ताली है, जो संदेहरूपी पक्षियों को उड़ा देती है. गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा था कि रामायण और महाभारत, इन दोनों ग्रन्थों में भारत की आत्मा के दर्शन होते हैं. यह कहा जा सकता है कि भारतीय जीवन मूल्यों के आदर्श, उनकी कहानियां और उपदेश, रामायण में समाहित हैं. उन्होंने कहा, मैं कामना करता हूं कि जिस प्रकार रामराज्य में सभी लोग दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टों से मुक्त थे उसी प्रकार हमारे सभी देशवासी सुखमय जीवन व्यतीत करेंगे.
कोविड महामारी के प्रकोप का सामना करती हुई मानवता के लिए हमारी परंपरा में प्रचलित यह प्रार्थना और भी प्रासंगिक हो गई है:
सर्वे भवन्तु सुखिनः
सर्वे सन्तु निरामयाः
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु
मा कश्चित् दुःख-भाग् भवेत्— President of India (@rashtrapatibhvn) August 29, 2021
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राष्ट्रपति ने कहा, राम के बिना अयोध्या, अयोध्या है ही नहीं. अयोध्या तो वही है, जहां राम हैं. इस नगरी में प्रभु राम सदा के लिए विराजमान हैं. इसलिए यह स्थान सही अर्थों में अयोध्या है. अयोध्या का शाब्दिक अर्थ है, ‘जिसके साथ युद्ध करना असंभव हो’. रघु, दिलीप, अज, दशरथ और राम जैसे रघुवंशी राजाओं के पराक्रम व शक्ति के कारण उनकी राजधानी को अपराजेय माना जाता था. इसलिए इस नगरी का ‘अयोध्या’ नाम सर्वदा सार्थक रहेगा. उन्होंने कहा, रामायण में दर्शन के साथ-साथ आदर्श आचार संहिता भी उपलब्ध है जो जीवन के प्रत्येक पक्ष में हमारा मार्गदर्शन करती है.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, रामायण में राम निवास करते हैं. इस अमर आदिकाव्य रामायण के विषय में स्वयं महर्षि वाल्मीकि ने कहा है: यावत् स्था-स्यन्ति गिरय: सरित-श्च महीतले, तावद् रामायण-कथा लोकेषु प्र-चरिष्यति, अर्थात जब तक पृथ्वी पर पर्वत और नदियां विद्यमान रहेंगे, तब तक रामकथा लोकप्रिय बनी रहेगी. उन्होंने कहा, रामकथा की लोकप्रियता भारत में ही नहीं बल्कि विश्वव्यापी है. उत्तर भारत में गोस्वामी तुलसीदास की रामचरित-मानस, भारत के पूर्वी हिस्से में कृत्तिवास रामायण, दक्षिण में कंबन रामायण जैसे रामकथा के अनेक पठनीय रूप प्रचलित हैं.
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राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, विश्व के अनेक देशों में रामकथा की प्रस्तुति की जाती है. इन्डोनेशिया के बाली द्वीप की रामलीला विशेष रूप से प्रसिद्ध है. मालदीव, मारीशस, त्रिनिदाद व टोबेगो, नेपाल, कंबोडिया और सूरीनाम सहित अनेक देशों में प्रवासी भारतीयों ने रामकथा व रामलीला को जीवंत बनाए रखा है. भारत ही नहीं विश्व की अनेक लोक-भाषाओं और लोक-संस्कृतियों में रामायण और राम के प्रति सम्मान और प्रेम झलकता है. मैं तो समझता हूं कि मेरे परिवार में जब मेरे माता-पिता और बुजुर्गों ने मेरा नाम-करण किया होगा तब उन सब में भी संभवतः रामकथा और प्रभु राम के प्रति वही श्रद्धा और अनुराग का भाव रहा होगा जो सामान्य लोकमानस में देखा जाता है.
रामचरितमानस में एक आदर्श व्यक्ति और एक आदर्श समाज दोनों का वर्णन मिलता है। रामराज्य में आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ आचरण की श्रेष्ठता का बहुत ही सहज और हृदयग्राही विवरण मिलता है:
नहिं दरिद्र कोउ, दुखी न दीना।
नहिं कोउ अबुध, न लच्छन हीना।।— President of India (@rashtrapatibhvn) August 29, 2021
वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, पांच शताब्दियों के एक लंबे इंतजार के बाद प्रधानमंत्री जी की अनुकंपा व उनके प्रयास से अयोध्या में भगवान श्री राम जी के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य जारी है. आज मा. राष्ट्रपति जी द्वारा रामायण कॉन्क्लेव व अन्य परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास हुआ है. उन्होंने कहा, किसी भी नाम के साथ अगर कहीं सर्वाधिक कोई नाम प्रयोग हुआ है तो वह ‘राम’ है, जो सामान्य लोक-जीवन में दिखने वाले भगवान श्री राम जी के प्रति श्रद्धा व अनुराग भाव को प्रदर्शित करता है. जन-जन के राम हैं, हमारे रोम-रोम में प्रभु श्री राम जी बसे हैं.
किसी भी नाम के साथ अगर कहीं सर्वाधिक कोई नाम प्रयोग हुआ है तो वह 'राम' है, जो सामान्य लोक-जीवन में दिखने वाले भगवान श्री राम जी के प्रति श्रद्धा व अनुराग भाव को प्रदर्शित करता है।
जन-जन के राम हैं, हमारे रोम-रोम में प्रभु श्री राम जी बसे हैं: #UPCM श्री @myogiadityanath जी pic.twitter.com/jAYFZdmouI
— CM Office, GoUP (@CMOfficeUP) August 29, 2021
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रामायण कॉनक्लेव के उद्घाटन समारोह के बाद हनुमानगढ़ी मंदिर में जाकर दर्शन और पूजन भी किया. इस दौरान उनके साथ देश की पहली महिला सरिता कोविंद और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे.
President Ram Nath Kovind along with First Lady Savita Kovind and CM Yogi Adityanath visits Hanuman Garhi temple in Ayodhya pic.twitter.com/n45v6jtkBp
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) August 29, 2021
हनुमानगढ़ी मंदिर के बाद राष्ट्रपति श्रीरामजन्मभूमि परिसर स्थित राम मंदिर पहुंचे. यहां उन्होंने रामलला का दर्शन और पूजन किया. यहां उन्होंने वृक्षारोपण भी किया. बता दें, आज राष्ट्रपति कोविंद के यूपी दौरे का आखिरी दिन है. वे रामलला का दर्शन करने के बाद दोपहर 3.50 बजे लखनऊ के लिए रवाना हो जाएंगे.
President Ram Nath Kovind offers prayers, plants a sapling at Ram Temple in Ayodhya pic.twitter.com/5nLzziOM6m
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) August 29, 2021
Posted by : Achyut Kumar