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BJP से निष्कासित यशवंत सिंह और उनके निर्दलीय एमएलसी बेटे रिशु को पार्टी में शामिल कराने पहुंचे राजाभैया?

एमएलसी चुनाव के परिणाम घोषित हुए जिसमें निर्दल प्रत्याशी और यशवंत सिंह के बेटे विक्रांत सिंह रिशु को 4075 मत मिले जबकि भाजपा प्रत्याशी और रमाकांत के बेटे अरुण कांत यादव को 1262 मत प्राप्त हुए. सपा प्रत्याशी राकेश यादव महज 356 वोट पर सिमट गए.

Lucknow News: आजमगढ़-मऊ स्थानीय प्राधिकारी चुनाव में जीतने वाले निर्दलीय प्रत्याशी विक्रांत सिंह रिशु के घर पर राजाभैया का जाना सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन चुका है. दरअसल, राजा भैया ने विजयी एमएलसी विक्रांत सिंह के पिता यशवंत सिंह से उनके आवास जाकर मुलाकात की. ये वही यशवंत सिंह हैं जिन्हें भाजपा ने 6 साल के लिए पार्टी से हाल ही में निष्कासित कर दिया है.

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राजाभैया को लेकर क्या हो रही चर्चा?

बता दें कि एमएलसी चुनाव के परिणाम घोषित हुए जिसमें निर्दल प्रत्याशी और यशवंत सिंह के बेटे विक्रांत सिंह रिशु को 4075 मत मिले जबकि भाजपा प्रत्याशी और रमाकांत के बेटे अरुण कांत यादव को 1262 मत प्राप्त हुए. सपा प्रत्याशी राकेश यादव महज 356 वोट पर सिमट गए. इस तरह से विक्रांत सिंह रिशु को 2813 मतों से भारी जीत हासिल हुई थी. इसके बाद प्रतापगढ़ की कुंडा सीट से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया अचानक की मऊ से एमएलसी रहे यशवंत सिंह के घर पहुंचे. सियासी गलियों में इस बात की चर्चा है कि वे उनके बेटे विक्रांत विक्रांत सिंह रिशु और उन्हें अपनी पार्टी में शामिल होने का न्योता दे सकते हैं. राजाभैया की पार्टी का नाम प्रजातांत्रिक दल है.

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बीजेपी ने क्यों किया यशवंत को निष्कासित?

हालांकि, इस संबंध में अभी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है. मगर इस बात के कयास बड़े जोर-शोर से लग रहे हैं. लगातार 20 साल से विधान परिषद सदस्य यशवंत सिंह अपने बेटे विक्रांत सिंह रिशु को भाजपा से टिकट दिलाने का प्रयास करते रहे. मगर जब भाजपा की तरफ से एमएलसी का टिकट नहीं मिला तो उन्होंने अपने बेटे को निर्दल ही चुनाव मैदान में उतार दिया था. हालांकि, इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा. एमएलसी चुनाव में अपने बेटे विक्रांत सिंह को चुनाव मैदान में उतारने के कारण भाजपा ने यशवंत सिंह को 6 साल के लिए भाजपा से निष्कासित कर दिया है. इसके बाद से यशवंत सिंह खुलकर अपने बेटे के समर्थन में आ गए थे. उन्होंने जमकर प्रचार भी किया था. अंतत: उन्हें जीत भी मिल गई.

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