Gorakhpur News: गोरखपुर में बंद पड़ी पिपराइच और मुंडेरवा की चीनी मिल को योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश की कमान संभाली तो अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी से लैस चीनी मिल खोलने का काम किया. जो आज किसानों के जिंदगी में मिठास घोल रही है. कई दशकों तक किसान चीनी मिल के बंद हो जाने से काफी परेशान थे. उन्हें जीविकोपार्जन करने के लिए अपने गांव को छोड़ बाहर काम की तलाश में पलायन करना पड़ रहा था.
चीनी मिल खुल जाने से किसान अब दुबारा अपने खेतों में गन्ने की फसल बो रहे हैं. यह चीनी मिल वैश्विक मांग वाली सल्फर मुक्त चीनी बनाने के साथ ये मिलें खुद बिजली उत्पादन तो करती ही हैं. मिलों ने किसानों को विगत वर्षों में शत प्रतिशत गन्ना मूल्य भुगतान भी कर दिया है. इतना ही नहीं, चालू पेराई सत्र में 30 नवंबर तक की गन्ना आपूर्ति का भुगतान करने के साथ दिसंबर प्रथम सप्ताह तक की आपूर्ति के भुगतान की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है.
पिपराइच में स्थापित राज्य चीनी एवं गन्ना विकास निगम की नई चीनी मिल ने गत चार वर्षों (2018-19 से लेकर 2021-22 तक) में 320 करोड़ 35 लाख 41 हजार रुपये का भुगतान गन्ना किसानों को किया है. इसी प्रकार मुंडेरवा की मिल ने कुल 380 करोड़ 36 लाख 37 हजार रुपये का भुगतान किया है. यह भुगतान गन्ना आपूर्ति करने वाले सभी किसानों के लिए शत प्रतिशत है.
उप गन्ना आयुक्त उषा पाल बताती हैं कि चालू पेराई वर्ष (2022-23) में भी पिपराइच व मुंडेरवा की चीनी मिलों ने 30 नवंबर तक की गई गन्ना खरीद का भुगतान किसानों के बैंक खातों में भेज दिया है. पिपराइच चीनी मिल ने 15 दिसंबर तक 8 हजार 422 किसानों से 5.55 लाख क्विंटल गन्ना क्रय किया है. इसका कुल मूल्य 19.19 करोड़ रुपये है जिसमें से 30 नवंबर तक की खरीद के एवज में 1.60 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है. जबकि मुंडेरवा चीनी मिल ने 7 हजार 794 किसानों से 3.57 लाख क्विंटल गन्ना क्रय किया. 30 नवंबर तक की आपूर्ति के सापेक्ष 82.78 लाख रुपये का भुगतान हो चुका है.
(नोट : आपूर्ति लाख क्विंटल तथा भुगतान लाख रुपये में)
पिपराइच चीनी मिल
वर्ष आपूर्ति कृषक संख्या भुगतान
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2018-19 2.92 2445 933.01
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2019-20 45.33 27147 14523.01
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2020-21 25.00 19683 8017.39
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2021-22 24.83 17782 8562.00
मुंडेरवा चीनी मिल
वर्ष आपूर्ति कृषक संख्या भुगतान
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2018-19 0.50 995 158.00
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2019-20 44.18 33058 13986.19
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2020-21 34.70 29717 10995.47
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2021-22 37.63 27709 12896.71
पिपराइच में 1932 में एक निजी क्षेत्र की चीनी मिल लगाई गई थी. 1974 में उसका अधिग्रहण हुआ लेकिन मिल 1999 में बंद हो गई. इसी तरह बस्ती के मुंडेरवा में भी निजी क्षेत्र की चीनी मिल 1932 में लगी. 1984 के अधिग्रहित हुई लेकिन 1999 में यह भी बंद हो गई. बंद मिलों को चलाने के लिए बतौर सांसद योगी हमेशा आवाज बुलंद करते रहे. 2017 में सूबे की कमान संभालने के साथ ही योगी ने नई चीनी मिलों की सौगात देकर किसानों का दिल जीत लिया.
रिपोर्ट –कुमार प्रदीप,गोरखपुर