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अफगानिस्तान से लौटे लोगों ने बयां किया दर्द, कहा- काबुल की जमीन छोड़ते ही मिल गया दूसरा जीवन

अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) का खौफ किस कदर है, यह पूर्वांचल पहुंचे तीन युवक के चेहरे पर साफ तौर पर देखा जा सकता है. वह तालिबान शब्द का नाम तक लेने में खौफजदा हैं.

केंद्र सरकार के प्रयास से अफगानिस्तान (Afghanistan) में फंसे भारतीय (Indian) धीरे-धीरे स्वदेश पहुंच रहे हैं. भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के मालवाहक विमान सी-17 ग्लोबमास्टर से 168 भारतीय गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पहुंचे.

168 भारतीयों में जौनपुर के मयंक सिंह, आजमगढ़ के धर्मेंद्र चौहान और चंदौली के सूरज चौहान मोजूद थे. ये तीनों जब अपने घर पहुंचे तो उनके परिवार वालों के खुशी का ठिकाना नहीं रहा. इश दौरान सभी ने अफगानिस्तान में उनका अनुभव बताया.

उन्होंने बताया कि वहां के हालात बहुत खराब हैं और सभी अफगानिस्तान छोड़ देना चाहते हैं. हमारे विमान ने जैसे ही काबुल की जमीन को छोड़ा, लगा जैसे दूसरा जीवन मिल गया है. बता दें कि तीनों ही काबुल के एक स्टील कंपनी में काम करते थे.

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बहन ने राखी बांधी राखी

जौनपुर के लाइन बाजार थाना क्षेत्र के गोधना गांव निवासी मयंक सिंह की खुशी तब दोगुनी हो गई, जब वह रक्षाबंधन के दिन अपने घर पहुंचे और उनकी बहन ने उन्हें राखी बांधी. मंयक ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद देते हुए बताया कि भारतीय दूतावास की टीम ने वीआइपी गेट से सभी भारतीयों को काबुल एयरपोर्ट में प्रवेश कराया. गेट पर अमेरिकन सैनिक भी तैनात थे.

तालिबानी बसों को कर लिए थे हाइजैक

मयंक ने बताया कि शनिवार को कंपनी से 19 लोग बस से एयरपोर्ट के लिए रवाना हुए. अन्य चार बसों में सवार 168 भारतीयों को एयरपोर्ट से एक किलोमीटर पहले ही तालिबानी आतंकियों ने हाइजैक कर लिया. सभी को तीन किलोमीटर दूर निर्माणाधीन कंपनी की इमारत में ले गए. बसों के आगे और पीछे हथियारों से लैस आतंकी चल रहे थे. दो घंटे तक अपनी कस्टडी में रखने के बाद आतंकियों ने सभी का रजिस्टर में एंट्री करने के बाद एयरपोर्ट जाने के लिए छोड़ दिया.

अफगानिस्तान का अनुभव दिल दहलाने वाला

आजमगढ़ के नरावं गांव निवासी धर्मेंद्र चौहान ने बताया कि एयरपोर्ट पर काफी भीड़ थी और गेट बंद था. हमसे बस में ही इंतजार करने को कहा गया. अगले दिन शनिवार को दिन में 11 बजे तालिबानी पहुंचे और हमारा पासपोर्ट लेकर नाम, पता नोट करने लगे. हम डर गए थे कि कहीं अपहरण न हो जाए. लेकिन हमें होटल में ठहराया गया और खाने में सब्जी, रोटी, चावल दिया. इसके बाद काबुल एयरपोर्ट ले गए और बाईपास गेट से रात लगभग 12 बजे अंदर प्रवेश कराया.

भारतीय दूतावास बने मददगार

चंदौली के अमोघपुर गांव निवासी सूरज चौहान ने बताया कि तालिबान आतंकी हाथों में बंदूक लेकर टहल रहे हैं. लोगों पर गोलियां बरसाई जा रही हैं. इन सबके बीच भारतीय दूतावास के अधिकारी हमेशा हमारे संपर्क में बने रहे. गुरुवार को एयरपोर्ट पहुंचने का संदेश मिला था. साथियों के साथ फैक्ट्री से निकलकर किसी तरह एयरपोर्ट पहुंचे, लेकिन मुख्य द्वार बंद था. बाहर का माहौल इतना खराब था कि वापस फैक्ट्री लौट गए. इसके बाद शनिवार को बस से एयरपोर्ट पहुंचाया गया.

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Posted By Ashish Lata

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