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सपा की शरण में बाहुबली नेता रिजवान जहीर, पहली बार निर्दलीय चुनाव जीत बने थे विधायक

दबंग नेता रिजवान तीसरी बार सपा में आए हैं. इसके पहले रिजवान कांग्रेस और बसपा में भी थे. उन्हें देवीपाटन मंडल में अल्पसंख्यकों का एक बड़ा सियासी चेहरा माना जाता है.

उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले नेताओं के पाला बदलने का सिलसिला शुरू हो चुका है. यूपी के बलरामपुर से दो बार सांसद और तीन बार विधायक रहे रिजवान जहीर कई समर्थकों के साथ शुक्रवार को समाजवादी पार्टी में शामिल हुए. दबंग नेता रिजवान तीसरी बार सपा में आए हैं. इसके पहले रिजवान कांग्रेस और बसपा में भी थे. उन्हें देवीपाटन मंडल में अल्पसंख्यकों का एक बड़ा सियासी चेहरा माना जाता है.

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रिजवान जहीर खान उर्फ रिज्जू भइया तीन दशकों से राजनीति में सक्रिय हैं. राजनीति में कदम रखने से पहले रिजवान जहीर की छवि एक दबंग के रूप में थी. उन्होंने पहला चुनाव निर्दलीय कैंडिडेट के तौर पर 1989 में तुलसीपुर विधानसभा क्षेत्र से जीता था. कुछ ही साल बाद मुलायम सिंह यादव ने उन्हें सपा में शामिल करवाया. वो 1993 में सपा से विधायक चुने गए थे. 1996 में कांशीराम के चलते रिजवान ने बसपा की सदस्यता ग्रहण की और तीसरी बार विधायक चुने गए. बसपा से मोहमंग के बाद रिजवान 1998 में सपा में आए. इस बार वो बलरामपुर लोकसभा सीट से सपा के सांसद चुने गए.

साल 1999 में रिजवान दोबारा समाजवादी पार्टी के ही टिकट पर सांसद चुने गए. साल 2004 में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव से संबंध बिगड़ने पर रिजवान ने समाजवादी पार्टी छोड़ दी और बसपा के टिकट पर बलरामपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा. चुनाव में रिजवान को बीजेपी के बाहुबली नेता बृजभूषण शरण सिंह से मात खानी पड़ी थी. रिजवान ने 2009 में बसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा और हार गए.

2014 में पीस पार्टी के टिकट पर श्रावस्ती से लोकसभा चुनाव लड़ने वाले रिजवान जहीर को हार का मुंह देखना पड़ा था. रिजवान ने 2016 में कांग्रेस की सदस्यता ली थी. दो साल बाद उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. रिजवान की पत्नी हुमा रिजवान 2005 और 2010 में जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं. रिजवान पर हत्या, हत्या की कोशिश और बलवा जैसे एक दर्जन मुकदमे दर्ज हैं. उन पर हाल ही में रासुका लगा था.

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उत्तर प्रदेश के बलरामपुर लोकसभा सीट 2004 को बाद में खत्म करके श्रावस्ती में मिला दिया गया था. बलरामपुर लोकसभा में चार विधानसभा सीटें शामिल हैं, जिनके नाम बलरामपुर सदर, गैसड़ी, उतरौला और तुलसीपुर हैं. तुलसीपुर सीट से रिजवान के बेटी जेबा रिजवान ने 2017 में बसपा के टिकट से चुनाव लड़ा था. भले ही जेबा हार गई थीं. उस साल वो उत्तर प्रदेश की सबसे कम उम्र (26 साल) की प्रत्याशी में शामिल थीं.

(इनपुट:- उत्पल पाठक, लखनऊ)

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