उत्तरप्रदेश सरकार का जबरन धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश कानून बन चुका है. योगी सरकार के मुताबिक कानून से ‘लव जिहाद’ पर रोक लगेगी. प्यार की आड़ में धोखा देने वालों को सबक मिलेगा. दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मदन लोकुर ने उत्तरप्रदेश सरकार के नए जबरन धर्मांतरण विरोधी कानून की जमकर आलोचना की है. उनके मुताबिक सरकार के नए कानून से लोगों की पसंद पर रोक लगी है.
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लाइव लॉ के मुताबिक मदन लोकुर ने कहा ‘उत्तरप्रदेश सरकार के नए जबरन धर्मांतरण विरोधी कानून से लोगों को अपनी पसंद से चुनने के अधिकार को ठेस पहुंची है. यह कानून लोगों के लिए आत्मसम्मान को पीछे छोड़ने वाला हो गया है. मध्यप्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा, असम भी ऐसे ही अध्यादेश लागू करने की योजना बना रहे हैं. इस कानून को ‘लव जिहाद’ पर रोक लगाने के लिए बेहद जरूरी बताया जा रहा है.’
मदन लोकुर का कहना है कि ‘मध्यप्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा और असम ने भी उत्तरप्रदेश की तर्ज पर कानून बनाने का ऐलान किया है. कानून का मकसद ‘लव जिहाद’ को रोकना है. बड़ी बात यह है कि अभी तक ‘लव जिहाद’ की कोई परिभाषा नहीं है. एक राज्य के मुख्यमंत्री का कहना है कि इसके तहत जिहादी अपना नाम और पहचान छिपाकर हमारी बहनों और बेटियों के आत्मसम्मान के साथ खेलते हैं.’
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उत्तरप्रदेश सरकार के कानून का राजनीतिक स्तर पर भी विरोध हो रहा है. राज्य की तमाम विरोधी पार्टियां सरकार के फैसले का विरोध कर रही हैं. सपा के अध्यक्ष और पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने योगी सरकार के कानून का सदन में विरोध की बात कही है. वहीं, बसपा नेता मायावती ने भी कानून पर विचार करने को कहा है. बता दें नए धर्मांतरण कानून को छह महीने के अंदर सदन में पास कराना जरूरी है.
Posted : Abhishek.