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UP MLC Election 2022: एमएलसी चुनाव में पुराने M-Y फॉर्मूले पर लौटे अखिलेश यादव, जानें क्या है रणनीति

UP MLC Election 2022: सपा प्रमुख अखिलेश यादव एमएलसी चुनाव में पुराने M-Y फॉर्मूला पर लौट आए हैं. इसकी झलक टिकट बंटवारे में दिखी. विधानसभा चुनाव में सपा को केवल 111 सीटें मिली थी.

UP MLC Election 2022: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद अपने पुराने M-Y (मुस्लिम-यादव) फॉर्मूले पर लौट आए हैं. इसका उदाहरण एमएलसी चुनाव में टिकट बंटवारे में दिखी. सपा की ओर से 50 प्रतिशत से ज्यादा सीटों पर यादवों को टिकट दिया गया है.

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एमएलसी चुनाव में सपा ने बदली रणनीति

दरअसल, विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने गैरयादव पिछड़ी जातियों पर खास फोकस किया था. एमएलसी का चुनाव जनता से नहीं, बल्कि पंचायत प्रतिनिधियों के जरिये होना है, इसलिए सपा ने अपनी रणनीति बदलते हुए जिताऊ उम्मीदवारों को टिकट दिया है.

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पिछली बार सपा की तरफ से जो उम्मीदवार जीते थे, उनमें ज्यादातर यादव थे. इस बार भी अधिकांश पुराने प्रत्याशियों को ही दोबारा चुनावी मैदान में उतारा गया है. हालांकि सपा ने जो सूची जारी है, उनमें प्रत्याशियों के नाम में यादव उपनाम लगाने से बची है. जबकि अन्य प्रत्याशियों के नाम में उपनाम लगाया गया था. समाजवादी पार्टी ने इस बार 21 यादव, 4 मुस्लिम, 4 ब्राह्मण के साथ ठाकुर, जाट, शाक्य, कुर्मी और प्रजापति बिरादरी से एक-एक उम्मीदवारों को टिकट दिया है.

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बता दें कि उत्तर प्रदेश में 36 सीटों पर विधान परिषद का चुनाव होना है. इस चुनाव के लिए नामांकन भी शुरू हो गया है. पहले चरण के लिए नामांकन 21 मार्च तक किए जा सकेंगे. इसके बाद नामांकन पत्रों की जांच होगी और नाम वापस लिए जा सकेंगे. उत्तर प्रदेश की बात करें तो विधान परिषद में कुल 100 सीटें हैं. विधान परिषद का नियम है कि विधानसभा के एक तिहाई से ज्यादा सदस्य विधान परिषद में नहीं होने चाहिए. उत्तर प्रदेश में 403 विधानसभा सदस्य हैं, इसका सीधा मतलब है कि यूपी विधान परिषद में ज्यादा से ज्यादा 134 सदस्य हो सकते हैं. वहीं, विधान परिषद में कम से कम 40 सदस्य होना भी अनिवार्य हैं.

चुने जाएंगे 36 एमएलसी

प्रदेश में स्थानीय निकाय कोटे की विधान परिषद की 35 सीटें हैं. इसमें मथुरा-एटा-मैनपुरी सीट से दो प्रतिनिधि चुने जाते हैं. इसलिए 35 सीटों पर 36 सदस्यों का चयन होता है. अमूमन यह चुनाव विधानसभा के पहले या बाद में होते रहे हैं. इस बार 7 मार्च को कार्यकाल खत्म होने के चलते चुनाव आयोग ने विधानसभा के बीच में ही इसकी घोषणा कर दी थी. बाद में विधानसभा चुनावों के मद्देनजर परिषद के चुनावों को टाल दिया गया था. स्थानीय निकाय की सीट पर सांसद, विधायक, नगरीय निकायों, कैंट बोर्ड के निर्वाचित सदस्य, जिला पंचायत व क्षेत्र पंचायतों के सदस्य, ग्राम प्रधान वोटर होते हैं.

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