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Triple Test: यूपी निकाय चुनाव पर ट्रिपल टेस्ट की ब्रेक, जानें क्या है सुप्रीम कोर्ट का ये फार्मूला

ओबीसी (OBC Reservation in Nikay chunav) को आरक्षण देने के लिये राज्य को एक कमीशन बनाना होगा, जो अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की स्थिति पर अपनी रिपोर्ट देगा. इसी के आधार पर आरक्षण लागू होगा. ओबीसी आरक्षण देने के लिये ट्रिपल टेस्ट (Triple Test) यानी तीन मानक रखे जाएंगे.

Lucknow: यूपी नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर दायर याचिका पर गुरुवार 22 दिसंबर को भी सुनवाई होगी. इसके चलते नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना पर लगी रोक अभी जारी रहेगी. हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण में ट्रिपल टेस्ट फार्मूला का पालन न लागू होने के कारण याचिका दाखिल की गयी थी. याचिका वैभव पांडेय ने दाखिल की है.

याचिका के बाद से लगी है चुनाव की अधिसूचना जारी करने पर रोक

यूपी निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर याचिका दाखिल होने के बाद हाईकोर्ट ने अधिसूचना जारी करने पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा था कि ओबीसी आरक्षण में क्या ट्रिपल टेस्ट फार्मूला लागू किया गया है. इस पर यूपी सरकार ने जवाब दिया है कि आरक्षण का जो फार्मूला लगाया गया है वह ट्रिपल टेस्ट की तरह ही है. इसी को लेकर लगातार हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई चल रही है.

दोनों पक्ष हाईकोर्ट में रख रहे अपना-अपना पक्ष

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में दाखिल याचिका के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में कहा गया है कि हर राज्य में पिछड़ा वर्ग की अलग-अलग स्थिति है. जिसमें राज्य सरकार को तय करना होगा कि वह अपने राज्य में ओबीसी को कितना आरक्षण देना चाहते हैं. इसके साथ ही ओबीसी आरक्षण के लिये सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल टेस्ट फार्मूला दिया है.

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यह सुप्रीम कोर्ट का Triple Test फार्मूला

इस फार्मूले के अनुसार ओबीसी को आरक्षण देने के लिये राज्य को एक कमीशन बनाना होगा, जो अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की स्थिति पर अपनी रिपोर्ट देगा. इसी के आधार पर आरक्षण लागू होगा. ओबीसी आरक्षण देने के लिये ट्रिपल टेस्ट (Triple Test) यानी तीन मानक रखे जाएंगे. इस टेस्ट में देखना होगा कि राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग की आर्थिक शैक्षिणक स्थिति क्या है? उनको आरक्षण की जरूरत है या नहीं? उनको आरक्षण दिया जा सकता है कि नहीं?

सरकार ने दाखिल किया जवाब

जानकारी के अनुसार अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता अमिताभ राय ने जो जवाब दाखिल किया गया है उसमें राज्य सरकार ने कहा है कि राज्य ने इन चुनावों में आरक्षण लागू करने के लिए नगरपालिका अधिनियम 1916 और नगर निगम अधिनियम 1959 के प्रावधानों के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया है. राज्य ने कहा कि उसने स्थानीय निकाय चुनावों में आरक्षण उपलब्ध कराने के लिए 2017 में एक व्यवस्था बनाई थी. जिसमें मानक परिचालन प्रक्रिया उपलब्ध कराई गई है और इस चुनाव में भी उसी प्रकिया को अपनाया गया है.

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