UP News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बहुचर्चित बिकरू कांड में तत्कालीन थाना प्रभारी विनय तिवारी और दारोगा केके शर्मा की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. इन दोनों के ऊपर पुलिस छापे की जानकारी गैंगस्टर विकास दुबे को देने का आरोप है. वहीं, जमानत की अर्जी खारिज होने पर निलंबित पूर्व थानेदार और दारोगा ने कहा कि उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है. उन पर मनगढ़ंत आरोप लगाया गया है. जबकि अपर शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि याची हमेशा गैंगस्टर के संपर्क में थे.
बता दें, कानपुर के बिकरू गांव में गैंगस्टर विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम पर अंधाधुंध फायरिंग की गई थी, जिसमें सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों की मौत हो गई जबकि कई घायल हो गए. बाद में, विकास दुबे को मध्य प्रदेश के उज्जैन से गिरफ्तार कर लिया गया था. जब उसे यूपी लाया जा रहा था तो बीच रास्ते में पुलिस ने भागने की कोशिश करने पर उसे एनकाउंटर में मार गिराया था.
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हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि गैंगस्टर के संपर्क में कुछ पुलिस वाले रहते हैं, जिसकी जानकारी और इसके पीछे की वजह पुलिस विभाग को भी मालूम है. देश में यह आम चलन है कि राजनीतिक दल गैंगस्टर का स्वागत करते हैं. गैगस्टर भी उस पार्टी के लिए अपराध करने को तैयार रहते रहता है. राजनीतिक दल उन्हें बचाते हैं, जिससे वे स्वयं को रॉबिनहुड साबित करने में लग जाते हैं.
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कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दल अपराधियों को टिकट भी देते हैं. कुछ जीत भी जाते हैं. राजनीतिक दलों के इस चलन पर रोक लगनी चाहिए. सभी दलों को मिल-बैठकर तय करना चाहिए कि अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण नहीं मिलने दिया जाएगा और उन्हें टिकट से वंचित किया जाए. हाईकोर्ट ने राजनीतिक दलों के रवैये को कानून के शासन को कमतर करने वाला और गणतंत्रात्मक संरचना को क्षति पहुंचाने वाला करार दिया है.
Posted by: Achyut Kumar