ये पोस्ट मेरे जीवन का अंतिम पोस्ट है. ये पोस्ट मैं गोरखपुर- नेपाल बॉर्डर से कर रहा हूं. पोस्ट करने के बाद सिम तोड़कर फेंक दूंगा और मोबाइल एक भिखारी को से दूंगा. मैं अपने एटीएम से सारे पैसे निकाल कर सभी भिखारियों को दे दिया हूं. मुझे अपने धन, सम्पत्ति व सुविधाओं की कोई जरूरत नहीं थी. सिर्फ एक अच्छी जीवनसाथी की जरूरत थी, जो मेरी फीलिंग को समझे और मेरा जीवनभर साथ दे सके. लेकिन, मेरी पत्नी बाहर से अच्छी नजर आती है और अंदर की जहरीली नागिन है, जिसने मेरा जीवन बर्बाद कर दिया. कई महीने तक सोचने- समझने के बाद मैंने आत्महत्या करने का फैसला लिया है, क्योंकि इस महिलावादी और पुरुष विरोधी समाज में एक इमानदार अच्छे इंसान का कोई महत्व नहीं है.
रेलवे में लोको पायलट की नौकरी करने वाले बलिया जिले के सहतवार थाना अंतर्गत नैना कुसौरी गांव निवासी आलोक कुमार सिंह ने दो दिन पहले अपने फेसबुक पेज पर यह पोस्ट किया था और उसके बाद से ही उसका कोई लोकेशन नहीं मिल रहा है. रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों को अपना रिजाइन और एसपी बलिया को आत्महत्या का कारण बताते हुए पत्र उसने गोरखपुर से ही स्पीड पोस्ट किया है. अपने पोस्ट में लिखा है कि नेपाल बॉर्डर के जंगलों में जाकर आत्महत्या कर लेगा, ताकि किसी को उसका शव भी न मिले. इसकी जानकारी होते ही बलिया पुलिस के साथ युवक के परिजन भी परेशान है, लेकिन दो दिनों से उसका कोई लोकेशन नहीं मिला है.
युवक ने अपने पोस्ट में लिखा है कि रेलवे की नौकरी को रिजाइन देकर आत्महत्या करने का कारण सिर्फ मेरी पत्नी और मेरे ससुराल वालों द्वारा समाज में मुझे बदनाम करके मानसिक रूप से प्रताड़ित करना, पत्नी द्वारा कीड़ों की मारने वाले जहर को तीन महीने से लगातार भोजन में देकर शरीर को कमजोर करना, मेरी पत्नी का गलत संबंध है. लिखा है कि आठ महीने तक अपनी पत्नी को बहुत समझाया कि सबकुछ भूलकर अपनी मैरिज लाइफ देखिये, फिर भी मेरी पत्नी ने मेरा जीवन बर्बाद कर दिया और मै अपनी लाइफ से हारकर आत्महत्या कर रहा हूं.
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आलोक के मुताबिक, 17 अक्टूबर 2020 को रायबरेली स्टेशन पर रात में उस पर जानलेवा हमला पत्नी ने ही करवाया था, जिसकी सूचना मौखिक तौर पर अपने स्टेशन अधीक्षक राकेश कुमार, स्टेशन मास्टर भूपेंद्र श्रीवास्तव, यार्ड ड्यूटी गार्ड आरके गुप्ता, रायबरेली जीआरपी/ आरपीएफ के प्रभारी को दी थी. हमले का वीडियो अपने लोको इंस्पेक्टर को वाट्सएप भी किया था. एफआइआर इसलिए नहीं किया था, ताकि उन्हें सुधरने का मौका दे सके. आठ महीने तक अपनी पत्नी को उसका चरित्र व सोच सुधारने के लिए पैर पकड़कर रो-रो समझाता रहा कि पति-पत्नी का ही ऐसा रिश्ता है जो पूरा जीवन साथ देते हैं.
आलोक ने इसी सात अपनी पत्नी को हुंडई की कार गिफ्ट दी थी, जिसकी तस्वीर उसके फेसबुक पेज पर भी है. सहतवार चैनराम बाबा मंदिर में कार की पूजा कराते हुए उसने तस्वीर साझा की थी. लिखा है कि मैं अपनी पत्नी सारी इच्छाएं पूरी करता था. मैंने अपनी पत्नी के सात लाख रुपये का फोर ह्वीलर खरीदा था, ताकि उसको घूमने फिरने मे दिक्कत ना हो. लेकिन सारी सुविधाएं को भुलाकर सिर्फ अपने लिए अलग मोबाइल मांगा करती थी, ताकि अपने जीजाजी से घंटों बात कर सके. वो सिर्फ अपने अधिकार की बात किया करती थी. मैंने अपनी पत्नी को हर सुख देकर अपना बनाने की कोशिश की, लेकिन जिसके मन में कोई दूसरा बसा हो वो हमेशा झूठे आरोप लगाती रहेगी और मुझे तकलीफ देती रहेगी.
गरीबी और परिवार के असहयोग के बावजूद अपनी ललक से कामयाबी हासिल करने वाले आलोक ने संघर्ष की कहानी भी फेसबुक पर पोस्ट की है. पांच साल पहले का पोस्ट हाल ही में शेयर किया, जबकि उसके मन में आत्महत्या की बात आयी. 2001 से 2015 तक किस तरह सफलता पायी, सबका जिक्र है. आलोक ने 27 जनवरी 2014 को लखनऊ मंडल, भारतीय रेलवे में सहा•यक लोको पायलट के पद के लिए ज्वाइन किया. इसके बाद उसने गांव में मकान बनवाया और बांसडीह कोतवाली क्षेत्र में उसकी शादी हुई.
रेलवे में लोकोपायलट सहतवार थाना क्षेत्र के रहने वाले युवक ने पत्नी से अनबन के बाद आत्महत्या करने के संबंध में दो दिन पहले फेसबुक पर पोस्ट किया था, जिसका संज्ञान लेते हुए पुलिस सक्रिय हो गयी है. दो दिन पहले तक युवक का लोकेशन गोरखपुर बता रहा था. लेकिन, अब कोई जानकारी नहीं मिल रही है. फेसबुक पोस्ट या पत्र के माध्यम से उसने जो भी जानकारी दी है, उसके आधार पर छानबीन की जा रही है. गोरखपुर पुलिस को भी अवगत करा दिया गया है, ताकि युवक से किसी तरह संपर्क किया जा सके.
–देवेंद्र नाथ, एसपी बलिया
Posted by : Thakur Shaktilochan