उत्तर प्रदेश में पांच साल पहले गांवों में चुनी गई सरकार के अधिकार समाप्त हो गये हैं. 25 दिसंबर की मध्य रात्रि से ही मौजूदा ग्राम प्रधानों का वित्तीय अधिकार सीज हो चुका है. आपको बता दें कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए अभी तक तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन जिला प्रशासन इसकी तैयारियों में जुट गईं हैं. चुनाव के लिए व्यवस्थाओं के संबंध में प्रभारियों की नियुक्तियां करने का काम किया जा चुका है. संभावना है कि फरवरी के अंतिम सप्ताह में अधिसूचना जारी की जा सकती है जबकि 31 मार्च से पहले चुनाव पूरे करा लिये जाएंगे.
सूत्रों की मानें तो इस बार पंचायत चुनाव 4 चरणों को होंगे. इधर मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्य पूरा होने वाला है. 28 दिसंबर 2020 को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित कराने का काम किया जाएगा, जिसके बाद तीन जनवरी 2021 तक लोग आपत्तियां दर्ज कराने में सक्षम होंगे. इस दौरान सभी बीएलओ अपने मतदान केंद्रों पर रहेंगे और आपत्तियों पर दूर करने का काम करेंगे.
इस बार क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत और ग्राम पंचायत के चुनाव एक साथ कराया जाएगा. खबरों की मानें तो पंचायती राज विभाग 28 जनवरी से पांच फरवरी के बीच चुनाव के संबंध में संभावित कार्यक्रम देने की योजना बना रहा है जिसके बाद आयोग अपने हिसाब से पंचायत चुनाव के लिए अधिसूचना जारी करने का काम करेगा.
योगी सरकार चाहती है कि 31 मार्च तक चुनाव कराते हुए पंचायतों का गठन करा लिया जाए, जिससे अप्रैल में होने वाली बोर्ड की परीक्षाओं में अडचन ना आये. आपको बता दें कि नगरीय सीमा का विस्तार होने का असर यह हुआ है कि ग्राम पंचायतें और क्षेत्र पंचायतें कम नजर आ रहे हैं. इनके पुनर्गठन के लिए परिसीमन का काम 15 जनवरी तक पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि जनवरी में ही आरक्षण का काम पूरा कर लिया जाएगा. आरक्षण का फार्मूला क्या होगा ? इस पर मंथन जारी है.
आयोग की ओर से कहा गया है कि 22 जनवरी तक मतदाताओं की सूची हरहाल में तैयार कर लिया जाना चाहिए.
Posted By : Amitabh Kumar