अगले साल पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसे लेकर भाजपा सहित सभी सियासी दल तैयारियों में जुटे हुए हैं. वहीं चुनाव से पहले केंद्र की मोदी सरकार ने बड़ा दांव खेला है. केंद्र सरकार ने सोमवार को संसद में पिछड़ा वर्ग से सम्बन्धित 127 वां संविधान संशोधन विधेयक पेश किया. इस विधेयक के पास होने के बाद राज्य सरकारों को एक बार फिर यह अधिकार मिल जाएगा कि वे ओबीसी सूची में किसी भी जाति को अधिसूचित कर सकते हैं. वहीं दूसरी ओर इस विधेयक को पिछड़े वर्ग में भाजपा की पकड़ को और मजबूत करने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है.
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पिछड़ा वर्ग को लेकर केंद्र सरकार का यह दूसरा बड़ा फैसला है. इससे पहले सरकार ने मेडिकल के केंद्रीय कोटे में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने का ऐलान किया था.
दरअसल, केंद्र सरकार के पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित 127 वां संविधान संशोधन विधेयक का समर्थन विपक्ष भी कर रहा है. कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि सभी विपक्षी दलों ने बैठक कर निर्णय लिया है कि उक्त विधेयक पर सदन में चर्चा होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि हम अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण से संबंधित इस विधेयक को पारित कराना चाहते हैं. ऐसे में यह विधेयक संसद के दोनों सदनों से बिना किसी अड़चन के पास हो जाएगा.
इस विधेयक के पारित होने के बाद महाराष्ट्र में मराठा, कर्नाटक में लिंगायत, हरियाणा में जाट और गुजरात में पटेल को ओबासी में शामिल करने का अधिकार राज्य सरकारों को मिल जाएगा. इसका असर सियासत पर भी पड़ेगा. भाजपा इस विधेयक के जरिए पिछड़ों का वोट हासिल करने की कोशिश करेगी.
बता दें, उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. साल 2017 में भाजपा को यादव को छोड़कर अन्य पिछड़ी जातियों का भरपूर साथ मिला था, लेकिन इस बार सपा और बसपा दोनों की नजर पिछड़ा वर्ग पर है. अखिलेश यादव जहां पिछड़ा वर्ग सम्मेलन कर ओबीसी मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं तो वहीं मायावती ने ओबीसी जनगणना की मांग कर अपने इरादे जाहिर कर दिए. ऐसे में अगर ओबीसी मतदाता भाजपा से छिटकता है तो सूबे की सत्ता में दोबारा से वापसी का बीजेपी का सपना टूट सकता है. इसलिए भाजपा हर हाल में ओबीसी को अपने पाले में बरकरार रखना चाहती है.
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दूसरी तरफ, महाराष्ट्र में विधेयक के पारित होने के बाद मराठा आरक्षण का रास्ता साफ हो जाएगा, पर मराठा के साथ भाजपा को ओबीसी की भी चिंता है. 2014 के लोकसभा चुनाव में विदर्भ में भाजपा को ओबीसी का जमकर वोट मिला था. लेकिन 2019 में यह वर्ग भाजपा से दूर हो गया. इससे भाजपा 2014 का प्रदर्शन नहीं दोहरा पाई. इसकी बड़ी वजह ओबीसी मतदाताओं की नाराजगी को माना जा रहा है. कई ओबीसी नेता भी भाजपा का दामन छोड़कर अन्य दलों में शामिल हो गए.
लोकसभा में पेगासस मुद्दे पर सरकार व विपक्ष में जारी गतिरोध के बीच सोमवार को अन्य पिछड़ा वर्ग ओबीसी संविधान संविधान संशोधन विधेयक को सोमवार को सदन में पेश किया गया. आज यानी मंगलवार को इसे चर्चा कर पारित कराया जाएगा.
Posted by : Achyut Kumar