Bareilly news: आला हजरत के उर्स में महिलाओं के आने पर पाबंदी लगाई गई है. इसका ऐलान किया गया है. इसके साथ ही राशिद अली खान को उर्स का प्रभारी बनाया गया है. जायरीन की मदद को मंगलवार दोपहर हेल्पलाइन जारी की गई है.
उर्स-ए-रज़वी में शामिल होने देश-विदेश के लाखों ज़ायरीन बरेली आने लगे हैं. उनकी मदद के लिए दरगाह की तरफ से 1500 वालिंटियर लगाए गए हैं. जो ज़ायरीन के ठहरने, खान-पान, दरगाह पर हाज़िरी, ट्रैफिक आदि में मदद करेंगे. दरगाह के सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) ने ज़ायरीन की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं. किसी ज़ायरीन को कहीं कोई दिक्कत आती है तो वे लोग इन नम्बर पर कॉल कर मदद मांग सकते हैं. उर्स प्रभारी राशिद अली खान 8218497158, शाहिद नूरी 9219878651, नासिर कुरैशी 9897556434, अजमल नूरी 8077909456, परवेज़ नूरी 9259213602, ताहिर अल्वी 9219725692, औरंगज़ेब नूरी 9219722092 आदि हेल्पलाइन पर कॉल कर सकते हैं.
आला हज़रत फ़ाज़िल ए बरेलवी के उर्स का आगाज़ 21 सितम्बर को परचम कुशाई की रस्म के साथ होगा. कुल शरीफ की रस्म 23 सितंबर जुमा के दिन अदा की जाएगी.दरगाह के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) ने शहर भर की सभी मस्जिदों के इमाम व मुतावल्ली (प्रबंधक) से अपील की है कि इस बार आला हज़रत का कुल शरीफ जुमे के दिन पड़ रहा है. इसलिए जिन मस्जिदों में नमाज़-ए-जुमा 1 बजे के बाद अदा की जाती है. उन मस्जिदों में 1 बजे तक नमाज़ अदा करा लें.जिससे अकीदतमंद वक़्त पर दरगाह व उर्स स्थल पहुंच सकें. दरगाह के मुफ्ती सलीम बरेलवी ने बताया कि कुल शरीफ की रस्म दोपहर 2 बजकर 38 मिनट बजे अदा की जाएगी. इसके फौरन बाद उर्स स्थल इस्लामिया मैदान में नमाज़-ए-जुमा अदा की जाएगी, जो लोग नमाज़ अदा करने से रह जायेंगे. वह लोग दरगाह की रज़ा मस्जिद में सबसे आखिर में 4 बजे नमाज़ अदा कर सकेंगे.
Also Read: बरेली में उर्स-ए-रजवी को लेकर 21 से 23 सितंबर तक डायवर्जन, शहर आने से पहले पढ़ लें खबर…
आला हजरत ने कानून हाथ में लेकर किसी का कत्ल करना नाजायज बताया था. उनका कहना था, ऐसा करने वाला शरीयत के मुताबिक सख्त सजा का हकदार है, फिर चाहे मामला पैगंबरे इस्लाम के खिलाफ गुस्ताखी का ही क्यों न हो. सुन्नी विचारधारा के सबसे बड़े धर्मगुरु माने जाने वाले आला हजरत का सन् 1906 में दिया यह फतवा माहनामा आला हजरत में प्रकाशित किया गया है. आला हजरत 1906 में हज यात्रा पर गए थे. उस दौरान अरब के लोगों ने यह सवाल करते हुए फतवा मांगा था कि क्या किसी गुस्ताख-ए-रसूल को कत्ल कर देना चाहिए. आला हजरत ने शरीयत का हवाला देते हुए इसे नाजायज बताया था. फतवे में कहा गया कि किसी भी इस्लामी या गैर इस्लामी मुल्क में ऐसे शख्स को सजा देने का हक सिर्फ उस मुल्क के बादशाह या अदालत को है.
Also Read: बरेली में उर्स-ए-रजवी 21 सितंबर से, जुटेंगे उलमा, दरगाह के सज्जदनाशीन ने जारी किया उर्स कैलेंडर
रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद