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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के पास पहुंची वाराणसी की कलाकारी, जानें गुलाबी मीनाकारी का कौन है कलाकार?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बवेरिया में म्यूनिख के पास शलॉस एलमौ में शुरू होने वाले जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए जर्मनी पहुंचे हैं. भारतीय परंपरानुसार PM नरेंद्र मोदी जब भी किसी देश या किसी सम्मिट में जाते हैं तो वहां मौजूद दुनिया के नेताओं और अपने समकक्षों के लिए तोहफा लेकर जाते हैं.

Varanasi News: वाराणसी धर्म-शिक्षा-संस्कृति की नगरी के साथ ही अपने कलात्मक उत्पादों के लिए भी पूरे विश्व में प्रचलित है. यहां की बनारसी साड़ी और पान के साथ-साथ मीनाकारी की कला भी काफी प्रस‍िद्ध है. इसमें सबसे खूबसूरत है गुलाबी मीनाकारी. इसकी खूबसूरती अब अपनी खास कारीगरी अमेरिका के व्हाइट हाउस की शोभा बढ़ाती नजर आएगी.

गुलाबी मीनाकारी का भी है नाम

दरअसल, काशी से सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बवेरिया में म्यूनिख के पास शलॉस एलमौ में शुरू होने वाले जी-7 (ग्रुप ऑफ सेवन) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रविवार को जर्मनी पहुंचे हैं. भारतीय परंपरानुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब भी किसी देश या किसी सम्मिट में जाते हैं तो वहां मौजूद दुनिया के नेताओं और अपने समकक्षों के लिए तोहफा लेकर जाते हैं. इसी परंपरा को निभाते हुए पीएम नरेंद्र मोदी जर्मनी में हुई जी-7 देशों की बैठक में भी सभी देश के नेताओं के लिए उपहार लेकर पहुंचे. इन उपहारों की लिस्ट में वाराणसी की गुलाबी मीनाकारी का भी नाम है. वाराणसी के आर्टिजन द्वारा इस कला से बनाये गए ब्रोच और कफलिंक को प्रधानमंत्री ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन को उपहार में दिया है.

पिकॉक ब्रोच व कॅफलिंग की डिमांड देश-विदेश में

यह खूबसूरत तोहफा काशी से यूपी हैंडीक्राफ्ट के अध्यक्ष नवनीत सहगल के जरिये पीएमओ को भेजा गया है. इसे वाराणसी के गायघाट के बालीवीर की गली निवासी राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त मीनाकारी कलाकार रमेश कुमार विश्वकर्मा और उनके बेटे रोहन सह‍ित राज्य पुरस्कार प्राप्त व वैभव विश्वकर्मा द्वारा विशेष ऑर्डर मिलने पर तैयार करके भेजा गया है. दोनों उपहारों को चांदी से तैयार कर उस पर गुलाबी मीनाकारी का खूबसूरत कलाकारी की गई है. राज्य पुरस्कार प्राप्त रोहन विश्वकर्मा बताते हैं कि पिकॉक ब्रोच व कफलिंग के इस सेट को बनाने में 16 दिन का समय लगा. अमेरिकी राष्ट्रपति और उनकी पत्नी के लिए तैयार इस तोहफे का वजन बहुत कम है. लाखों की कीमत वाला ये पिकॉक ब्रोच व कॅफलिंग की डिमांड देश-विदेशों के कई शहरों में होती है. अमेरिकी राष्ट्रपति व उनकी पत्नी को उपहार में देने के लिए बनाया गया ये उपहार पूरी तरह हस्तनिर्मित है.

गुलाबी मीनाकारी के बने क्राफ्ट दिये

17वीं शताब्दी से शुरू हुई इस भारतीय कला को 2015 में वाराणसी में जीआई टैग से नवाजा गया. इस संबंध में बात करते हुए जीआई विशेषज्ञ डॉ रजनीकांत ने कहा कि प्रधानमंत्री वाराणसी ही नहीं पूरे भारत के जीआई टैग प्रोडेक्ट के ब्रांड एम्बेस्डर हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जर्मनी यात्रा के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को वाराणसी की गुलाबी मीनाकारी वाला ब्रोच उपहार में दिया. मिस्टर एंड मिसेज बाइडन के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने मिलता-जुलता ब्रोच बनवाया था. वहीं, जीआई विशेषज्ञ डॉ रजनीकांत ने बताया कि नेशनल मेरिट अवार्डी रमेश विश्वकर्मा ने इसे बनाया है. उन्होंने आगे कहा कि 2015 जीआई टैग मिलने के बाद से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी मांग बढ़ी है. इसका पूरा श्रेय प्रधानमंत्री को जाता है क्योंकि उन्होंने अपनी तमाम अंतरराष्ट्रीय यात्राओं में कई राष्ट्राध्यक्षों को गुलाबी मीनाकारी के बने हुए क्राफ्ट को भेंट किया.

रिपोर्ट : विप‍िन स‍िंह

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