18.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

UP: अगर ये ना होते तो नीलाम हो गए होते हजारों मासूम, कहानी वेश्यावृत्ति के खिलाफ जंग लड़ने वाले शख्स की

Uttar Pradesh: समाज के इस बदनुमा दाग को दूर करने के लिए अजीत सिंह अपनी संस्था ‘गुड़िया’ के जरिए रेड लाइट एरिया में काम कर रहे हैं. अजीत सिंह की बदौलत हजारों नाबालिग वेश्यावृत्ति के काले दलदल से बाहर निकल पाए हैं.

Uttar Pradesh: सिनेमा और समाज हमेशा ही एक-दूसरे को राह दिखाते आए हैं. सिल्वर स्क्रीन पर कभी-कभी ऐसे किरदार भी उभरकर सामने आ जाते हैं, जिन्हें देखकर दिन के उजाले में हम नाक-भौंह सिकोड़ते हैं. अभी हाल ही में संजय लीला भंसाली के एक फिल्म आयी थी, जिसका नाम था गंगूबाई काठियावाड़. इस फिल्म में जिस्मफरोशी के काले दलदल के कुछ पहलू दिखाए गए थें. असल जिंदगी में वेश्यावृत्ति के ये दलदल कितने काले और गहरे हैं, इसका हम और आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते. हांलाकि समाज में कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने इस अंधे कुएं से कई मासूमों को बाहर निकाला है. ऐसा ही एक नाम है वाराणसी के अजीत सिंह का.

बनारस दुनिया का अनोखा शहर, जहां लोग खीचें चले आते हैं. गंगा के किनारे बसे इस शहर को भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक राजधानी कहा जाता है. शहर की खूबसूरती शाम होते ही गंगा घाट पर नज़र आती है. बनारस जितना धर्म के लिए पहचाना जाता है उतना ही जाना जाता है सबसे पुरानी वेश्यावृत्ति की गलियों के लिए. वहीं बनारस में रहने वाला हर शख्स अजीत सिंह को भी जानता है, जो सालों से शहर की सफाई का काम कर रहे हैं. बंधुआ मजदूरी और वेश्यावृत्ति में धकेले गए बच्चों को निकालने का सफाई अभियान.

Undefined
Up: अगर ये ना होते तो नीलाम हो गए होते हजारों मासूम, कहानी वेश्यावृत्ति के खिलाफ जंग लड़ने वाले शख्स की 4
मानव तस्करी और वेश्यावृत्ति के खिलाफ जंग

समाज के इस बदनुमा दाग को दूर करने के लिए अजीत सिंह अपनी संस्था ‘गुड़िया’ के जरिए रेड लाइट एरिया में काम कर रहे हैं. अजीत सिंह की बदौलत हजारों नाबालिग वेश्यावृत्ति के काले दलदल से बाहर निकल पाए हैं. अजीत सिंह ने अब तक तीन हजार से ज्यादा लड़कियों को इस गंदे धंधे से मुक्त कराया है. उन्हें बेहतर जिंदगी दी है. इस नेक काम के खातिर उनपर कई बार जानलेवा हमले भी हो चुके हैं. प्रभात खबर से बात करते हुए अजीत सिंह ने बताया कि उनपर और उनके साथियों पर 24 अटैक हो चुके हैं जिनके मामले पुलिस में दर्ज हैं.

Undefined
Up: अगर ये ना होते तो नीलाम हो गए होते हजारों मासूम, कहानी वेश्यावृत्ति के खिलाफ जंग लड़ने वाले शख्स की 5
17 साल की उम्र से जारी है लड़ाई

वेश्यावृत्ति और मानव तस्करी के खिलाफ इस अभियान की शुरुआत के बारे में अजीत सिंह ने बताया कि 1988 में एक शादी में शरीक होने के लिए बनारस आए थे, तब उनकी उम्र मजह 17 साल की थी. वो पहली दफा था, जब उन्होंने शादी के जश्न को रंगीन बनाने के लिए महिलाओं को देखा. बरातियों को खुश करने के लिए जो नाच रही थीं. शादी के अगले दिन उन्होंने उनमें से एक महिला को प्रस्ताव दिया… कि वो उसके दोनों बच्चों को पढ़ाना चाहता है, क्या वो पढ़ाना चाहेगी? इस सवाल पर उस महिला ने कहा, कोई उसके बच्चों को पढ़ा दे, तो इससे अच्छा क्या हो सकता है. बस यहीं से अजीत को जीवन का एक नया रास्ता दिख गया.

सालों तक अकेले काम करने के बाद उन्होंने 1993 में ‘गुड़िया’ संस्था की शुरुआत की. बहुत से युवा साथी और दोस्त, अजीत की संस्था के लिए नि:शुल्क काम करने लगे. वे बच्चों को पढ़ाते, रोजगार के हुनर सिखाते ताकि वे अपनी मांओं की तरह जिस्मफरोशी के धंधे में ना धकेले जाएं. बाद में अजीत को महसूस हुआ कि बाल जिस्मफरोशी को रोकना है तो दलालों पर नकेल कसना होगा. अपने पहले अभियान के बारे में उन्होंने बताया कि 2005 में बनारस के ही बदनाम मोहल्ले शिवदासपुर से 50 बच्चियों को छुड़ाया और कई कोठों को सीज कराया. इस छापेमारी की लाइव प्रसारण भी कई टीवी चैनलों पर हुआ था.

Undefined
Up: अगर ये ना होते तो नीलाम हो गए होते हजारों मासूम, कहानी वेश्यावृत्ति के खिलाफ जंग लड़ने वाले शख्स की 6
बचायी हजारों मासूमों की जिंदगी 

अभी हाल ही के अपने अभियान के बारे में अजीत सिंह ने बताया कि प्रयागराज के मीरगंज रेडलाइट के कई महिलाओं और बच्चियों को छुड़ाया. इस मामले में उन्होंने 41 दलालों को 14 साल की सजा दिलायी और कई कोठों को सीज कराया. अजीत सिंह ने बताया कि ये घटना पूरे देश के लिए नजीर बना और 2022 के Trafficking in Persons Report में भी इसका जिक्र किया गया. प्रयागराज के रेडलाइट एरिया से बच्चों को छुड़ाने के लिए अजीत सिंह को 11 महीने तक चुड़ी बेचने वाले का भेष बनाकर रहना पड़ा था, ताकि वह सबूत जुटा सकें और उसे पुलिस के सामने रख सकें.

अभी जारी है लड़ाई

अजित सिंह अकेले ह्यूमन ट्रैफिकिंग (Human trafficking) के 1500 से ज्यादा मामले लड़ रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में 11 PIL दाखिल कर चुके हैं. जिन दलालों की वजह से महिलाएं इस धंधे में फंसती हैं वैसे 500 दलालों को उन्होंने जेल भिजवाया है. आज ‘गुडिया’ के तहत रेड लाइट एरिया में ना सिर्फ पढ़ाई का काम चल रहा है बल्कि यहां के बच्चों को वोकेशनल ट्रेनिंग भी दी जा रही है. इसके तहत कंम्प्यूटर कोर्स, फैशन डिजाइनिंग, ब्यूटिशन का कोर्स सिखाये जाते हैं. ये सब काम मुफ्त में कराया जाता है.

अजीत सिंह की संस्था “गुड़िया” को नेक काम के लिए 2016 में नारी शक्ति अवॉर्ड मिला. इस संस्था को उत्तर प्रदेश सरकार ने रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार से भी सम्मानित किया है. अजीत सिंह को मशहूर टीवी शो कौन बनेगा करोड़पति के एक स्पेशल शो में बुलाया गया था. शो के होस्ट अमिताभ बच्चन ने गुड़िया संस्थान के लिए दान भी दिया था.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें