Yogi Government 2.0 : यूपी में योगी आदित्यनाथ एक बार फिर सीएम बनेंगे. इसमें अब कोई संशय नहीं है. जाहिर है, नई कैबिनेट का गठन भी होगा. अब इसमें किसे जीत मिलेगी और किसे हार? इस सवाल का जवाब खंगाला जा रहा है. योगी सरकार की दूसरी कैबिनेट में कई नए चेहरों को मौका मिल सकता है. पेश है एक खास रिपोर्ट…
बीते 35 बरस का इतिहास बदलने वाले गोरखपुर सदर से 1 लाख से अधिक वोट से जीतने वाले विधायक योगी आदित्यनाथ अब नई कैबिनेट को लेकर मंथन कर रहे हैं. शनिवार की दोपहर उनके घर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह और प्रदेश संगठन मंत्री सुनील बंसल एक साथ पहुंचे. सूत्रों के मुताबिक, दोपहर में हुई इस मुलाकात के दौरान कैबिनेट में शामिल किए जा सकने वाले चेहरों पर चर्चा भी की गई. दरअसल, रविवार को योगी आदित्यनाथ यूपी में ‘बुलडोजर नीति’ के दम पर दोबारा जीत दर्ज करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा सुप्रीमो जेपी नड्डा से मुलाकात करेंगे. योगी सरकार के 11 मंत्रियों को चुनाव में जनता ने नकार दिया है. ऐसे में नए चेहरों को मौका मिलना तय है.
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स्वतंत्रदेव सिंह : सूत्रों के मुताबिक, डॉ. दिनेश शर्मा के चुनाव न लड़ने और केशव प्रसाद मौर्य के कौशांबी की सिराथू से चुनाव हारने के बाद से कैबिनेट में डिप्टी सीएम के दोनों पदों के लिए नामों की तलाश की जा रही है. इस बीच यह भी देखा जा रहा है कि प्रदेश में भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह को शामिल किया जा सकता है.
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असीम अरुण : आईपीएस की नौकरी छोड़ राजनीति में किस्मत आजमाने वाले पूर्व पुलिस कमिश्नर असीम अरुण को योगी सरकार की कैबिनेट में जिम्मेदारी मिल सकती है. कन्नौज सदर से पहली ही बार में जीत दर्ज करने का उन्हें भाजपा नेतृत्व की ओर से इनाम मिल सकता है.
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दयाशंकर सिंह : भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह ने बलिया सदर से जीत दर्ज की है. उनकी पत्नी स्वाती सिंह योगी सरकार में मंत्री रह चुकी हैं. हालांकि, 2022 के विधानसभा चुनाव में उनका टिकट काट दिया गया था. इसके बाद कुछ दिनों के बाद ही उनकी जगह उनके पति दयाशंकर सिंह को बलिया से टिकट दे दिया गया था. साथ ही, चुनाव के दौरान दूसरी पार्टी के कई चेहरों को भाजपा में लाने के लिए उनको श्रेय दिया जाता रहा है. पूरी संभावना है कि वे कैबिनेट में शामिल किए जा सकते हैं.
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शलभमणि त्रिपाठी : देवरिया से भारी मतों से जीत दर्ज करने वाले मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार शलभमणि त्रिपाठी को भी नई कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है. कोरोना काल में मरीजों को मदद करने के लिए उनके प्रयासों की काफी चर्चा भी रही है. ऐसे में संभावना उनके नाम की भी है.
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राजेश्वर सिंह : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) लखनऊ के संयुक्त निदेशक रहे राजेश्वर सिंह ने वीआरएस लेने के बाद भाजपा के टिकट पर लखनऊ की 9 विधानसभा सीटों में से एक सरोजनीनगर में जीत का परचम लहराया है. उनके बारे में यह भी कहा जाता है कि उनकी पकड़ दिल्ली में भाजपा के बड़े नेताओं से है. ऐसे में पहली ही बार में हॉट सीट को जीतकर भाजपा को मजबूत बनाने के लिए राजेश्वर सिंह को मंत्रालय में शामिल करने की चर्चा तेज है. वे प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) के 1994 बैच के अधिकारी रहे हैं. राजेश्वर लखनऊ में सीओ गोमतीनगर व सीओ महानगर के पद पर भी तैनात रहे हैं.
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अदिति सिंह : रायबरेली से कांग्रेस की नींव को कमजोर करने और भाजपा को मजबूत करने का श्रेय लेने वाली अदिति सिंह को भी कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है. संभावना है कि उन्हें पूर्व मंत्री स्वाति सिंह की जिम्मेदारियां सौंपी जा सकती हैं.
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नितिन अग्रवाल : पूर्व सपा विधायक एवं भाजपा की सहायता से विधानसभा उपाध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज होने वाले हरदोई के नितिन अग्रवाल को भी कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है. पार्टी में उनका कद बढ़ा है. ऐसे में मंत्रालय मिलने के आसार भी बढ़ गए हैं.