LUCKNOW NEWS : उत्तर प्रदेश में हर साल तकरीबन 40 हजार करोड़ रुपए की दवाई और चिकित्सा उपकरण खरीदा जाता है. इसके बाद भी यूपी दूसरे राज्यों पर दवाओं के लिए निर्भर रहता है. देश में सबसे बड़ा सूबा होने के चलते इसकी चिकित्सा व्यवस्था भी बड़ी हो जाती है. इन्हीं कारणों को देखते हुए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार नई फार्मास्यूटिकल नीति लाने के लिए कवायद कर रही है.
दरअसल, इसके पीछे सरकार का मूल मक़सद दवा के कच्चे माल के लिए चीन पर निर्भरता का काम करना है. नई फार्मास्यूटिकल नीति आने से देश तथा विदेश की बड़ी दवा कंपनियों को यूपी में निवेश करने के लिए आमंत्रित करने की योजना है. अधिकारियों ने भी बताया है कि इस फार्मास्यूटिकल नीति में बदलाव करने के बाद प्रदेश में तकरीबन 25 हजार करोड़ रुपए का निवेश होने की उम्मीद है. यही नहीं इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए उत्तर प्रदेश फार्मास्यूटिकल उद्योग नीति 2021 का मसौदा भी बनना शुरू हो गया है.
नई फार्मास्यूटिकल नीति के तहत उठा सकते हैं ये कदम…
1. दवा निर्माण के लिए बड़ी फार्मा कंपनियों को जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराने की योजना है.
2. नई नीति में एपीआई के अलावा ड्रग इंटरमीडिएट का निर्माण करने वाली कंपनियों को भी दवा निर्माण कंपनियों की तर्ज पर छूट देने का निर्णय लिया जाएगा.
3. इसके पहले साल 2018 में योगी सरकार ने नई फार्मास्यूटिकल नीति तैयार कराई थी.
4. उत्तर भारत का सबसे बड़ा मेडिकल डिवाइस पार्क यमुना एक्सप्रेसवे विकास प्राधिकरण (यीडा) के सेक्टर-28 में 350 एकड़ जमीन पर बनाने की तैयारी है. केंद्र ने इसके लिए मंजूरी भी दे रखी है.
5. अधिकारियों ने उम्मीद जताई है कि इस मेडिकल डिवाइस पार्क से करीब 5250 करोड़ रुपए का निवेश होगा.
6. 20 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है.
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