Gorakhpur: गोरखपुर के गोला थाना क्षेत्र में पत्नी औ दो बच्चों की हत्या के बाद पति के आत्महत्या के मामले में चौंकाने वाली बात सामने आई है. फॉरेंसिक टीम के मुताबिक देवकली गांव में वारदात को पति 42 वर्षीय इंद्र बहादुर मौर्य ने शराब के नशे में अंजाम दिया था.
पति ने पत्नी 38 वर्षीय सुशीला मौर्य और दोनों बच्चों 10 वर्षीय चांदनी बेटी मौर्य और 8 वर्षीय बेटा आर्यन मौर्य का गला रेतने के बाद जब तीनों के शरीर में कोई हरकत नहीं देखी तो उसे कुछ समझ में नहीं आया. इसके बाद उसने तीनों के घाव पर डेटॉल लगाकर मरहम पट्टी की. उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि तीनों की मौत हो चुकी है.
शराबी पति को जब सुबह होश आया तो उसे इस बात को लेकर आत्मग्लानि हुई. इसके बाद उसने अपने ऊपर ज्वलनशील पदार्थ डालकर आग लगा ली, जिससे उसकी मौत हो गई. लोगों ने घर के अंदर जब धुआं निकलता देखा तो दरवाजे को खुलवाने की कोशिश की. अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर ग्रामीणों ने बलपूर्वक दरवाजा खोला तो देखा कि इंद्र बहादुर बिस्तर पर ही जल रहा था और उसकी पत्नी और दोनों बच्चे किनारे मृत अवस्था में पड़े हुए थे. इसके बाद ग्रामीणों ने इसकी सूचना पुलिस को दी थी.
पुलिस और फॉरेंसिक टीम की प्रथम दृष्टया जांच में सामने आया है कि पति पत्नी के बीच में रात में विवाद हुआ है, क्योंकि कमरे के अंदर सभी सामान बिखरे हुए थे. घर पर रखी टीवी और फागिंग मशीन टूटी हुई थी, जो इस विवाद का सबूत दे रहे थे.
वहीं ग्रामीणों के मुताबिक एक दबंग आदमी गांव में ही जुआ का अड्डा चलाता है. वहां पर जुआ खेलने वालों के साथ-साथ सूद पर रुपये देने वाले भी मौजूद रहते हैं, जो जुआ खेलने वाले लोगों को उनका सामान जैसे मोबाइल, गाड़ी आदि रखकर रुपये देते हैं. शनिवार को इंद्र बहादुर भी जुए में 50 हजार रुपये हार गया था. वह 50 हजार रुपये उसने किसी से कर्ज लिए थे. इसके बाद से इंद्र बहादुर ने जमकर शराब पी और घर चला गया था.
इंद्र बहादुर की दोनों बच्चे गोपालपुर स्थित इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाई करते थे. उसकी 10 साल की बेटी चांदनी कक्षा 4 की छात्रा थी, जबकि छोटा बेटा आर्यन कक्षा एक में पढ़ाई करता था. बताया जा रहा है कि इंद्र बहादुर को जुआ खेलने की आदत थी, वह अपने बच्चों पर ध्यान नहीं देता था. लेकिन, उसकी पत्नी सुशीला बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहती थी.
यह बात भी सामने आ रही है कि इंद्र बहादुर थोक सब्जी का व्यापार करता था और उसके बाद अपने घर के अलावा 4000 वर्ग फीट जमीन भी थी. इंद्र बहादुर गांव के लोगों से बटाई पर खेत लेकर सब्जी की खेती करता था और उसमें पैदा हुए सब्जियों को वह मंडी में बेचता था. सूदखोर कर्ज के एवज में इंद्र बहादुर से उसकी जमीन और मकान लिखवाना चाहते थे. इसीलिए इंद्र बहादुर जब भी सूदखोरों से कर्ज मांगता था तो वह उसे रुपये मुहैया करा देते थे. इंद्र बहादुर का उसकी पत्नी सुशीला से इन्हीं सब बातों को लेकर आए दिन विवाद और मारपीट होता था.
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फॉरेंसिक टीम के मुताबिक यह बात भी सामने आई है कि इंद्र बहादुर और उसकी पत्नी में घटना की रात काफी संघर्ष हुआ. पत्नी पर चाकू से उसने चार बार वार किया. उसने सीने गर्दन और पीठ पर चाकू से वार किया. इसके अलावा पत्नी का खून दीवारों पर भी लगा हुआ था, जो इस घटना का गवाह है. जबकि उनके दोनों बच्चों के खून सिर्फ बेड पर मिला है. इसका मतलब यह है कि इंद्र बहादुर ने दोनों की गला रेत कर हत्या की थी. हत्या करने के बाद उसने डेटॉल, कॉटन, कपड़े और मरहम लगाकर उनको बचाने की भी कोशिश की थी. क्योंकि पुलिस को शव की पास से डेटॉल की बोतल कार्टन कपड़े मिले थे.
घटना वाले दिन इंद्र बहादुर ने रात में ही अपनी पत्नी और बच्चों की हत्या कर दी थी. लेकिन, उसने खुद रात में आत्महत्या नहीं की. वह पूरी रात अपनी पत्नी और दोनों बच्चों के शव को लेकर बैठा रहा. शराब के नशे में उसे यह एहसास नहीं था कि उसने किस घटना को अंजाम दिया है. वहीं पुलिस अधिकारियों की माने तो अगर उसी समय इंद्र बहादुर की पत्नी और दोनों बच्चों को गांव वालों की मदद से अस्पताल भेजा गया होता, तो शायद उनकी जान बच जाती.
रिपोर्ट– कुमार प्रदीप, गोरखपुर