kannauj: यूपी में कन्नौज से भाजपा सांसद सुब्रत पाठक के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद सियासत गरमा गई है. भाजपा सरकार में उनके ही सांसद पर एफआईआर को लेकर जहां कई तरह की चर्चाएं हैं. वहीं समाजवादी पार्टी ने इसे लेकर निशाना साधा है.
पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और सांसद सुब्रत पाठक के बीच पहले भी जुबानी जंग कई बार हो चुकी है. इस बार अखिलेश यादव ने सांसद के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने पर उनकी गिरफ्तारी के समय को लेकर सवाल किया है. दूसरी ओर सुब्रत पाठक ने भी अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए उन्हें सपा सरकार के कार्यकाल की याद दिलाई है. इसके साथ ही उन्होंने पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. सुब्रत पाठक के अपनी सरकार में पुलिस पर ही आरोप लगाने को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं.
इस प्रकरण में भाजपा सांसद सुब्रत पाठक समेत 11 नामजद और 42 अज्ञात लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है. आरोप है कि अपहरण के आरोपियों की गिरफ्तारी के विरोध में भाजपा नेता-कार्यर्ताओं ने कन्नौज की मंडी पुलिस चौकी पर हमला बोल दिया. आरोपियों को छुड़ाने के लिए बवाल करने से लेकर पुलिसकर्मियों से मारपीट की गई. चौकी इंचार्ज की वर्दी फाड़ डाली.
बताया जा रहा है कि उन्नाव के औरास थाने में कन्नौज के दीपू यादव ने छोटे भाई नीलेश के अपहरण का मुकदमा कन्नौज के प्रभाकर, सागर, विशाल और अभिषेक दुबे पर दर्ज कराया था. उन्नाव पुलिस नीलेश और अपहर्ताओं की तलाश में कन्नौज पहुंची. यहां से मंडी चौकी प्रभारी हाकिम सिंह को साथ लेकर टीम ने स्थानीय जिम पर छापा मारा. मौके पर नीलेश और चारों नामजद आरोपियों के साथ भाजपा कार्यकर्ता समुद्र श्रीवास्तव भी मिला.
पुलिस सभी को मंडी चौकी ले गई. आरोप है कि इसकी जानकारी मिलते ही सांसद सुब्रत पाठक भीड़ के साथ चौकी पहुंचे और हंगामा शुरू कर दिया. मंडी चौकी प्रभारी का कॉलर खींचकर गाली गलौज और मारपीट की गई. भीड़ ने अन्य पुलिसकर्मियों को पीटा और वर्दी फाड़ डाली.
इस बीच उन्नाव पुलिस आरोपियों का लेकर रवाना हो गई, वहीं भाजपा सांसद सुब्रत पाठक भी कार्यकर्ताओं के साथ चले गए. इस मामले में कन्नौज कोतवाली में धारा 147,148, 332, 353, 504, 506, 427, 225, अपराध कानून संशोधन अधिनियम 1932 की धारा 7 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ किया गया है.
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस पर तंज कसते हुए कहा कि पुलिसवालों ने कन्नौज के भाजपा सासंद सुब्रत पाठक के ऊपर एफआईआर दर्ज की है. जनता पूछ रही है वह कब गिरफ्तार होंगे. इन भाजपाइयों से बचने के लिए पुलिस क्या बुलडोजर के पीछे छुपकर अपनी जान बच रही है.
उधर इस मामले पर सुब्रत पाठक ने कहा कि दारोगा और पुलिसकर्मी भाजपा कार्यकर्ता समुद्र को पीट रहे थे. महिला कार्यकर्ता ने रोकना चाहा, तो उसके साथ छेड़खानी की गई. हाकिम सिंह और तरुण ने रिवाल्वर लेकर धमकाया. पीड़ित ने तहरीर दी तो पुलिस की जगह भाजपा के लोगों पर एफआईआर दर्ज कर ली गई. उन्होंने पुलिस अधीक्षक कुंवर अनुपम सिंह पर भी आरोप लगाए. सुब्रत पाठक ने कहा कि एसपी ने मुकदमे में उनका शामिल कराया.
उन्होंने कहा कि वहीं अखिलेश यादव अपने समय को याद करें कि किस तरह वे गुंडागर्दी कराते थे. साथ ही गुंडों का समर्थन करते थे. मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद से बड़ा कोई उदाहरण हो ही नहीं सकता, इसलिए अखिलेश यादव इस पर न बोले तो ही अच्छा है.