Lucknow: मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में जीत के बाद सैफई कुनबा एकजुट होकर समाजवादी पार्टी को मजबूत करने में जुट गया है. पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जहां चाचा शिवपाल यादव को हाल ही में राष्ट्रीय महासचिव पद की जिम्मेदारी सौंपी है, वहीं अब विधानसभा में उनकी सीट बदलने की तैयारी है. शिवपाल यादव को विधानसभा में प्रमुख विपक्षी दल की सीटों में आगे की पंक्ति में जगह दी जाएगी.
उत्तर प्रदेश विधानमंडल का बजट सत्र 20 फरवरी से आयोजित किया जाएगा. पहले दिन विधानमंडल के संयुक्त सत्र में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का अभिभाषण होगा. शोक प्रस्ताव के बाद सदन स्थगित हो जाएगा. अगले दिन 21 फरवरी को वित्त मंत्री सुरेश खन्ना सदन में बजट प्रस्तुत करेंगे. यह योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा बजट होगा. बजट पर चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी योगी सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेरने की तैयारी में जुटी है.
शिवपाल यादव पहले से ही भाजपा सरकार पर हमलावर बने हुए हैं. ऐसे में अखिलेश यादव ने चाचा को आगे की पंक्ति में सीट देकर सरकार पर जोरदार हमला करने की रणनीति बनाई है. हालांकि अखिलेश यादव इससे पहले भी शिवपाल यादव की कुर्सी बदलने को लेकर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को पत्र लिख चुके हैं.
तकनीकी कारणों से तब इस बदलाव के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी गई, क्योंकि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रमुख होने के बावजूद शिवपाल यादव सपा के टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. इसलिए उन्हें अलग से सीट देने से इनकार कर दिया गया था. लेकिन, अब चाचा भतीजे के एक होने के साथ ही प्रसपा (लोहिया) का सपा में विलय हो चुका है.
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वर्तमान सियासी परिस्थितियों में पार्टी महासचिव बनाए जाने के बाद सपा नेता लगातार शिवपाल यादव से मुलाकात कर रहे हैं. अखिलेश यादव ने भी मंगलवार शाम चाचा शिवपाल यादव के घर जाकर उनसे चर्चा की. इस दौरान दोनों के बीच करीब 45 मिनट विभिन्न मुद्दों पर बातचीत हुई. माना जा रहा है कि सपा संगठन को मजबूत करने और सरकार क खिलाफ आंदोलन को धार देने के लिए दोनों ने मंथन किया.
शिवपाल यादव ऐसे कार्यक्रमों का नेतृत्व करेंगे. उनके साथ रहने से पार्टी के वरिष्ठ नेता भी आंदोलन में सक्रिय होंगे. इसके अलावा जो नेता किसी वजह से पार्टी से दूर जा चुके हैं या फिर निष्क्रिय हैं, शिवपाल उन्हें भी मुख्य धारा में लाने का काम करेंगे. वहीं प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) से जुड़े लोगों को भी अब सपा में बेहतर तरीके से समायोजित करने का काम किया जाएगा. इन्हें प्रदेश संगठन में जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. इस तरह अखिलेश यादव चाचा को साथ लेकर परिवार को मजबूत करने के बाद अब संगठन की खामियों को दुरुस्त करने में जुटे हैं.